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कोरोना के मरीजों से भरे अस्पतालों के बेड, अब टूटी सरकार की नींद, सीएचसी में खुले आइसोलेशन वार्ड

राज्यभर के अलग-अलग अस्पतालों में कोविड-19 वार्ड भर चुके हैं. जिसके बाद राज्य सरकार ने हर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड बनाने का निर्णय लिया है. इसके तहत राज्य के 200 से अधिक कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में 10-10 बेड का एक आइसोलेशन वार्ड बनाया जाना है. यहां कोरोना संक्रमण से ग्रसित वैसे लोगों को रखा जाएगा जो ए-सिंप्टोमेटिक हों या जिनमें वायरस के संक्रमण का लक्षण नहीं दिख रहे हों.

New isolation ward opened
सीएचसी में खुले आइसोलेशन वार्ड

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Published : Jul 16, 2020, 12:59 PM IST

रांचीः प्रदेश में बढ़ते कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच राज्य सरकार ने हर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड बनाने का निर्णय लिया है. इसके तहत राज्य के 200 से अधिक कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में 10-10 बेड का एक आइसोलेशन वार्ड बनाया जाना है. यहां कोरोना संक्रमण से ग्रसित वैसे लोगों को रखा जाएगा जो ए-सिंप्टोमेटिक हों या जिनमें वायरस के संक्रमण का लक्षण नहीं दिख रहे हों. वैसे लोगों को सीएचसी से छुट्टी तभी दी जाएगी जब दोबारा उनकी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आएगी.

जायजा लेते संवाददाता

दरअसल, रिम्स समेत अलग-अलग अस्पतालों में कोविड-19 वार्ड भर चुके हैं. आंकड़ों के अनुसार राजधानी में कोरोना मरीजों के लिए बेड की संख्या 328 है, जबकि संक्रमितों की संख्या उससे पार हो गई है. ऐसे में अब कोरोना वायरस के संक्रमित लोगों को अस्पताल में भर्ती करने में समस्या हो रही है. इसी के मद्देनजर एहतियात के तौर पर यह कदम उठाया गया है, ऐसे ही एक आइसोलेशन सेंटर का जायजा ईटीवी भारत ने लिया.

रातू के सीएचसी में खुला आइसोलेशन वार्ड

राजधानी रांची से बाहर रातू ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 10 बेड का एक आइसोलेशन सेंटर बनाया गया है. जहां कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को रखा जाएगा. इस बाबत वहां के प्रभारी सुजीत कुमार कश्यप बताते हैं कि जिनमें कोरोना वायरस के लक्षण नहीं होंगे वैसे लोग यहां रहेंगे. इसके साथ ही जरूरत पड़ेगी तो समस्या बढ़ने पर रिम्स समेत अन्य अस्पताल के विशेषज्ञों से राय लेकर उन्हें इलाज के लिए वहां भेजा जाएगा. उन्होंने साफ कहा कि आइसोलेशन सेंटर में कोविड-19 के मरीजों के लिए पूरी व्यवस्था की गई है. उनके लिए अलग बेड-टॉयलेट जैसी चीजें मुहैया कराई जाएंगी. उन्हें अन्य मरीजों से अलग रखा जाएगा. उन्हें तब तक वहां रखा जाएगा जब तक उनकी जांच रिपोर्ट नेगेटिव नहीं आ जाती. वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के संबंध में उन्होंने बताया कि पर्याप्त मात्रा में पीपीई किट केंद्र में हैं ताकि मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ भयमुक्त होकर अपना काम कर सकें.

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डॉ डरेंगे तो कैसे करेंगे इलाज

उन्होंने साफ कहा कि अगर डॉक्टर डरकर काम करेंगे तो स्थितियां और बिगड़ सकती है. उन्होंने कहा कि अगर डॉक्टर डर गए होते तो आज कोरोना संक्रमण का आंकड़ा कुछ और ही होता. राजधानी का रातू कम्युनिटी हेल्थ सेंटर राज्य का वैसा स्वास्थ्य केंद्र है जहां राज्य भर में सबसे ज्यादा सरकारी प्रसव के मामले आते हैं. इतना ही नहीं भारत सरकार द्वारा गुणवत्ता का सर्टिफिकेट हासिल करने वाला यह राज्य का इकलौता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है. बता दें कि राज्य में कोविड-19 से संक्रमित लोगों का आंकड़ा 4,500 से पार हो गया है. जिसमें 2,000 से अधिक सक्रिय केस हैं और 35 से अधिक मौत शामिल है.

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