रांची: हेमंत सोरेन ने राज्य के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण किया. सत्ता में आने के बाद राज्य में कई चुनौतियां हैं, जिसका सामना हेमंत सरकार को करना होगा. रघुवर सरकार को विदा करने वाली जनता हेमंत सरकार से कई उम्मीदें लगाए बैठी है.
महागठबंधन में तीन पार्टी है. जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी. हेमंत सोरेन को सबसे पहले इन पार्टी के साथ बेहतर तालमेल बनाकर चलना होगा. चुनाव से पहले जेएमएम ने जनता के लिए मेनिफेस्टो जारी किया था. जनता से वादा किया था कि वो सत्ता में आएंगे तो कई समस्याओं पर काम करेंगे. मेनिफेस्टो में किए गए वादों को हेमंत सोरेन की सरकार को निभाना होगा.
स्थानीय आरक्षण
झारखंड के लोगों को नौकरी मुहैया कराना हेमंत सरकार के लिए बड़ा काम होगा. मेनिफेस्टो में जेएमएम ने सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया है. वहीं, कांग्रेस ने हर परिवार के सदस्य को नौकरी देने का वादा किया है.
जमीन अधिग्रहण
झारखंड में जमीन अधिग्रहण एक बड़ा मुद्दा है. कांग्रेस ने मोदी सरकार पर भूमि अधिग्रहण बिल को कमजोर करने का आरोप लगाया था. राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के समय आदिवासियों को उनकी भूमि का हक दिलाने का वादा किया. जेएमएम ने भूमि अधिकार कानून बनाने का वादा किया है.
पारा शिक्षक मामला
इस चुनाव में पारा शिक्षक का मामला खूब उठा. बीजेपी सरकार ने अप्रशिक्षित पारा शिक्षक को हटाने का आदेश दिया था. हालांकि हाई कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी. अभी यह मामला कोर्ट में लंबित है. हेमंत की सरकार को पारा शिक्षकों को स्थायी करना भी एक काम होगा.