रांची: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष(Arun Haldar reached Jharkhand) अरुण हालदार झारखंड दौरे पर आए हैं. वो यहां पलामू के पांडु थाना क्षेत्र में महादलितों की बस्ती उजाड़ने के मामले की जांच करेंगे. अरुण हालदार का रांची पहुंचने पर स्वागत किया गया. यहां से वो सीधे पलामू के लिए रवाना हो गए.
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पलामू रवाना होने से पहले रांची एयरपोर्ट पर पूर्व मंत्री अमर बाउरी ने उनका स्वागत किया. स्थानीय बीजेपी नेताओं ने भी एयरपोर्ट पर उनसे मुलाकात की और उनका स्वागत किया. एयरपोर्ट पर स्थानीय नेताओं से मुलाकात करने के बाद अरुण हालदार पलामू के लिए रवाना हो गए.
बता दें कि पांडू थाना क्षेत्र के मुरुमातु में दलित बस्ती उजाड़ने (palamu Dalit habitation demolition case) के मामले पर राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग (National Commission for Scheduled Castes ) ने संज्ञान लिया है. इसी के तहत आयोग की टीम आज पांडू के मुरुमातु का जायजा लेगी और पीड़ितों से मुलाकात करेगी. राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग के उपाध्यक्ष अरुण हालदार इस टीम में मौजूद हैं. इस दौरान टीम घटनास्थल का जायजा भी लेगी.
बता दें कि पलामू पांडू थाना क्षेत्र के मुरूमातु में विशेष समुदाय के द्वारा महादलित समुदाय के घरों को उजाड़ दिया गया था. अब इस मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग की टीम पीड़ितों से मुलाकात करेगी और घटनास्थल का दौरा भी करेगी. इसके बाद टीम पूरे मामले पर मीडिया से भी बात करेगी. राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग की टीम लगातार पलामू की घटना पर नजर बनाए हुए है. शुक्रवार को आधिकारिक तौर पर प्रशासन के द्वारा यह सूचना दी गई थी मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग ने संज्ञान लिया है.
अनुसूचित आयोग की टीम शनिवार दोपहर 2 से 3 के बीच पांडु के इलाके का दौरा करेगी. माना जा रहा है कि शाम 5 बजे के बाद टीम प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी. मुरुमातु घटना को लेकर प्रशासनिक स्तर पर के चौकसी बरती जा रही है. मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है. पूरी घटना को लेकर अलग अलग एफआईआर दर्ज किए गए हैं. पूरे मामले में अब तक 5 लोगों की गिरफ्तारी हुई है जबकि 150 के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है.
बता दें कि 29 अगस्त को विशेष समुदाय के लोग भीड़ की शक्ल में पांडू थाना क्षेत्र के मुरुमातु के महादलित टोले में पहुंचे थे. यहां भीड़ ने पीड़ित परिवार के करीब 14 घरों को ध्वस्त कर दिया था और परिवार वालों को वहां से उजाड़ दिया था. बाद में उन लोगों ने हर परिवार के लोगों के सामान को गाड़ियों में लोड कर छतरपुर के लोटो के इलाके में भेज दिया. घटना के बाद से कुछ दलित परिवार के लोग आशियाने के लिए भटक रहे हैं.
दलित परिवार के ये लोग पिछले 30 वर्षों से इस इलाके में रह रहे थे और पहाड़ के नजदीक मिट्टी काटकर झुग्गी झोपड़ी बनाए थे. कुछ लोगों के कच्चे मकान थे, जबकि कई लोग पत्तों से बनी झोपड़ियों में रह रहे थे. हालांकि यह बात भी सामने आ रही है कि दोनों पक्षों के बीच लिखित समझौता हुआ था.