झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / city

झारखंड में पत्थलगड़ी का क्या है इतिहास, डिटेल में जानें पूरी जानकारी

चाईबासा में पत्थलगड़ी के विरोध करने पर एक साथ 7 लोगों की हत्या की सूचना है. मामले की जानकारी के बाद पुलिस मौके पर पहुंच कर मामले में पूछताछ कर रही है. आइए जानते हैं क्या है पत्थलगड़ी.

7 people killed in Chaibas
झारखंड में पत्थलगड़ी

By

Published : Jan 21, 2020, 9:11 PM IST

रांचीः पश्चमी सिंहभूम के चक्रधरपुर के गुदड़ी में एक खौफनाक घटना को अंजाम दिया गया. जहां पत्थलगड़ी के विरोध करने पर एक साथ 7 लोगों की निर्मण हत्या कर दी गई. जिनमें उप मुखिया भी शामिल है. हत्या के बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है. हलांकि मामले की जानकारी होते ही पुलिस मौके पर पहुंच कर मामले की जांच में जुट गई है.

बात करते हैं कि यह पत्थलगड़ी है क्या...पत्थलगड़ी नाम से ही समझ में आता है कि पत्थल गाड़ने का सिलसिला जो कई सालों से चलता आ रहा है. जिसने एक आंदोलन का रूप ले लिया था. पत्थलगड़ी आदिवासी समुदाय की एक पुरानी परंपरा है (बड़ा शिलालेख गाड़ने की परंपरा) जिसमें पूरे विधि-विधान के साथ बड़े पत्थर को जमीन में गाड़ा जाता है. आदिवासी इसे अपनी वंशावली और पुरखों की याद में संजो कर रखते हैं. इनमें मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकारी की जानकतारी लिखी हुई होती है. कई जगहों पर जमीन का सीमांकन करने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है और अंग्रेजों या फिर दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद हुए सपूतों की याद में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है.

पत्थलगड़ी भी कई प्रकार के होते है.

  • पत्थर स्मारक- ये खड़े और अकेले होते हैं
  • मृतक स्मारक पत्थर- ये चौकोर और टेबलनुमा होती है
  • कतारनुमा स्मारक- ये एक लाइन से या फिर समान रुप से कतारों में होते हैं
  • अर्द्धवृताकार स्मारक- ये अर्द्धवृताकार होते हैं
  • वृताकार स्मारक- ये पूरी तरह से गोल होते हैं (जैसे महाराष्ट्र के नागपुर स्थित जूनापाणी के शीलावर्त)
  • खगोलीय स्मारक- ये अर्द्धवृताकार, वृताकार, ज्यामितिक और टी-आकार के होते हैं. जैसे पंकरी बरवाडीह (झारखंड) के पत्थर स्मारक

मुंडा आदिवासियों के अनुसार पत्थलगड़ी 4 तरह के होते हैं

  1. ससनदिरी
  2. बुरूदिरी और बिरदिरी
  3. टाइडिदिरि
  4. हुकुमदिरी

ससनदिरीः यह दो मुंडारी शब्दों से बना है, ससन और दिरी. ससन का अर्थ मसान अथवा कब्रगाह है जबकि दिरी का मतलब पत्थर होता है. ससनदिरी में मृतकों को दफनाया जाता और उनकी कब्र पर पत्थर रखे जाते हैं. मृतकों की याद में रखे जाने वाले पत्थरों का आकार चौकोर और टेबलनुमा होता है.

बुरूदिरी और बिरदिरीः मुंडारी भाषा में बुरू का अर्थ पहाड़ और बिर का अर्थ जंगल होता है. इस तरह के पत्थर स्मारक यानी पत्थलगड़ी क्षेत्रों, बसाहटों और गांवों के सीमांकन की सूचना के लिए की जाती है.

टाइडिदिरी: टाइडी राजनीतिक अर्थ को व्यक्त करता है. सामाजिक-राजनीतिक निर्णयों और सूचनाओं की सार्वजनिक घोषणा के रूप में जो पत्थर स्मारक खड़े किए जाते हैं उन्हें टाइडिदिरी पत्थलगड़ी कहा जाता है.

हुकुमदिरीःहुकुम अर्थात दिशानिर्देश या आदेश, जब मुंडा आदिवासी समाज कोई नया सामाजिक-राजनीतिक या सांस्कृतिक फैसला लेता है. तब उसकी उद्घोषणा के लिए इसकी स्थापना की जाती है.

पत्थरगड़ी को लेकर आदिवासियों की मानसिकता
हमने अबतक आपको यह बताया कि पत्थलगड़ी क्या है और कितने प्रकार के होते हैं, अब जानते है कि इसे लेकर आंदोलन क्यों शुरू हुआ. दरअसल, राजधानी रांची से सटे खूंटी में मुंडा आदिवासी रहते हैं. वो भारत के संविधान को मानने से इनकार करते थे. हम अपनी पढ़ाई जहां क से कमल, ख से खरगोश से शुरू करते थे, तो वहीं खूंटी के एक स्कूल में बच्चों को क- कानून, ख-खदान, व-विदेशी जैसी पढ़ने के ज्ञान दिए जा रहे थे. जो कई लोगों को वाजिब लगता है तो कई लोगों को गलत लगता है.
वहां से ऐसे मामले सामने आने पर जब इसके बारे में पूछताछ की गयी, तो उनका उत्तर था, जब 52 पढ़े-लिखे लोगों में केवल 2 लोगों को नौकरी मिलती है, तो ऐसे पढ़े होने का क्या मतलब है. इसलिए हम क से कानून पढ़ेंगे.

पत्थलगड़ी को लेकर क्यों हुआ विवाद
वैसे तो पत्थलगड़ी को आदिवासी समुदाय की परंपरा मानी जा रही है, जिसे सभी मानते भी थे कि यह किसी की याद में की जा रही है, लेकिन मामला तब उभरकर सामने आया जब जमीन सीमांकन करने की बात शुरू की गई. उस दौरान कई गांवों का सीमांकन किया गया. गांवों के सीमांकन करने का मतलब था कि उस गांव में कोई भी दिकू यानी कोई भी बाहरी लोग नहीं जा सकते. बाहरी लोगों को दिकू कहा जाता है जिनमें प्रधानमंत्री भी शामिल है. उनका कहना है कि उन्हें किसी से कोई मतलब नहीं है. न ही वो किसी कानून को मानते हैं न कोई स्कूल, यूनिवर्सिटी.

अब सवाल उठता है कि अचानक ये पत्थलगड़ी मामला क्यों हुआ. बता दें कि फरवरी 2018 में कोरिया की कंपनी वहां एक काम शुरू करने वाली थी. जिसके लिए भारत सरकार ने वहां जमीन दिखाई और साफ-सफाई कर उन्हें सौंपना चाहा, लेकिन वहीं के ग्रामीणों ने उस गांव का सीमांकन कर दिया. जिसके बाद कोरियन कंपनी उनसे पीछे हट गई. बात यहीं खत्म नहीं होती है- मार्च 2018 में पुलिस को उस इलाके में अफीम की खेती की सूचना मिली. जिसे नष्ट करने पहुंची पुलिस का विरोध करने के लिए ग्रामीणों ने हाथों में तीर धनुष लेकर खड़े हो गए. इस दौरान 500 जवानों को ग्रामीणों ने 24 घंटों के लिए बंधक बना लिया था.नई सरकार ने वापस लिया मुकदमा

ये भी पढ़ेंःसीएम हेमंत सोरेन को मिला चैंपियन ऑफ चेंज अवार्ड, कहा- प्रणव मुखर्जी से अवार्ड लेना गौरव की बात

खबरों के अनुसार, माना जाता है कि इसके पीछे किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने की योजना बनाई जा रही थी. खूंटी पुलिस की माने तो पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े कुल 19 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 172 लोगों को आरोपी बनाया गया है. अब हेमंत सोरेन के ऐलान के बाद इन आरोपियों पर दर्ज मुकदमे वापस ले लिए जाएंगे. खूंटी ऐसा जिला है जहां पत्थलड़ी आंदोलन का बड़े पैमाने पर असर देखा गया.

ABOUT THE AUTHOR

...view details