रांची: नगर निकायों को जवाबदेह बनाने के लिए उन्हें सक्षम और स्वतंत्र बनाना जरूरी है. झारखंड के मुख्य सचिव डीके तिवारी ने नगर विकास एवं आवास विभाग को इस बाबत निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार की तरह निकाय भी अपनी नीति और विकास की योजनाएं बनाएं, राजस्व संग्रहण करें और बजट जैसे निर्माण के लिए जवाबदेह बनें.
विकास की योजनाएं
इसके लिए नगर निगम के 10 करोड़ तक की योजना का दायरा बढ़ाकर 50 करोड़ तक की योजना के चयन और क्रियान्वयन के लिए स्वतंत्र बनाना होगा. मुख्य सचिव ने कहा कि इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि छोटी-छोटी चीजों के लिए निगम को सरकार पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और कार्य में तेजी भी आएगी. मुख्य सचिव ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के सफल क्रियान्वयन के लिए अपनी अध्यक्षता में राज्यस्तरीय स्वीकृति एवं अनुश्रवण समिति की बैठक के दौरान यह निर्देश दिया. इस दौरान नगर विकास विभाग के कई प्रस्तावों को अनुमोदित भी किया गया.
निकाय कर्मियों के तबादले से बचने की सलाह
मुख्य सचिव ने नगर निकायों के अधिकारियों और कर्मियों के तबादला से लांग टर्म प्लानिंग के क्रियान्वयन में होनेवाले व्यवधान को देखते हुए उनका तबादला नहीं करने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि निकाय के चप्पे-चप्पे से वाकिफ लोग रहेंगे और जरूरत के अनुसार योजना बनाने, उसका क्रियान्वयन करने के साथ त्वरित समस्या समाधान में भी सहूलियत होगी.
कर्मियों की क्षमता संवर्धन करने का भी निर्देश
उन्होंने स्पष्ट किया कि इसका मतलब यह नहीं होना चाहिए कि नाकाबिल या कामचोर लोग एक जगह कुंडली मारे बैठे रहे. ऐसे लोगों को तबादला की जगह हटाने की कार्रवाई करें. वहीं कैडर बनने के बाद भी निकायों में नियुक्ति नहीं होने के मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव ने नियमित नियुक्ति करने का निर्देश दिया. इसे सबसे पहले रांची और धनबाद नगर निगम में लागू करने के साथ निकायों के कर्मियों की क्षमता संवर्धन करने का भी निर्देश दिया.