रांची:कोरोना के बाद होने वाली बीमारी म्यूकर माइकोसिस (Mucor mycosis) का इलाज राज्य सरकार के लिए एक चुनौती है. सरकार के साथ-साथ निजी अस्पताल भी इस बीमारी से ग्रसित मरीजों को बचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. वर्तमान में राज्य में म्यूकर माइकोसिस के कुल 20 मरीज हैं. जिसमें सात मरीज सिर्फ रिम्स में भर्ती हैं.
इसे भी पढे़ं: Corona Third Wave: हम कितने तैयार! झारखंड ने देखा है सेकेंड वेव में तबाही का मंजर
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ डीके सिन्हा बताते हैं कि म्यूकर माइकोसिस एक फंगल बीमारी है, जो अमूमन कोरोना से संक्रमित होने के बाद मरीजों को होता है. खासकर वैसे मरीजों को यह बीमारी होती है, जिसकी प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है. रिम्स में इस बीमारी से मरीजों को बचाने के लिए तैयारियां की गई है. म्यूकर माइकोसिस से ग्रसित रिम्स में जो भी मरीज हैं, उनके लिए विशेष वार्ड बनाए गए हैं और लाइकोजोमल एंफोटरइसिन बी की दवा भी पर्याप्त मात्रा में मंगवा ली गई है. यह दवा सरकारी स्तर पर सिर्फ रिम्स में ही मुहैया हो रही है, क्योंकि इस दवा की कीमत 40 से 45 हजार रुपये होती है.
झारखंड-बिहार में म्यूकर माइकोसिस के मरीजों की सर्जरी की व्यवस्था नहीं
म्यूकर माइकोसिस बीमारी सिर्फ शरीर के बाहरी हिस्से को ही नहीं, बल्कि सांस की नली में फैलने की वजह से लंग्स को भी डैमेज कर देता है, जिसे क्रिटिकल सर्जरी किए बिना निकालना काफी मुश्किल होता है. वहीं जिस मरीज की बीमारी शुरुआती दौर में ही पकड़ में आ जाती है वैसे मरीजों को दवा से ही ठीक किया जा सकता है. वरिष्ठ चिकित्सक डॉ निशिथ कुमार बताते हैं कि कई बार म्यूकर माइकोसिस शरीर के अंदरूनी हिस्से को भी प्रभावित कर देता है, जिससे मरीज को बिना क्रिटिकल सर्जरी किए बगैर बचाना मुश्किल हो जाता है. मरीजों के सर्जरी के लिए झारखंड और बिहार में संसाधन उपलब्ध नहीं है. बाहर से मशीन मंगवाकर मरीजों की जान बचाई जाती है.
इसे भी पढे़ं: कोरोना से नहीं...पोस्ट कोविड बीमारियों से लगता है डर, रिम्स में कोविड का 1 और पोस्ट कोविड के 35 मरीज भर्ती