रांचीः दुमका विधायक बसंत सोरेन मामले में सोमवार को नई दिल्ली स्थित भारत निर्वाचन आयोग में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान झारखंड बीजेपी की लीगल टीम के प्रतिनिधि शैलेश मंडियाल ने बताया कि प्रीलिमनरी ऑबजेक्शन पर बहस हुई है. दोनों पक्षों ने अपनी बात चुनाव आयोग में रखी. वहीं, बसंत सोरेन की लीगल टीम के प्रतिनिधि एसके मेद्रीरता ने कहा कि डिसक्वालीफिकेशन का केस है तो भी यह प्री इलेक्शन डिसक्वालीफिकेशन केस है.
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एसके मेद्रीरता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का 1952 से लेकर अब तक यही फैलसा है, जिसमें कहा गया है कि चुनाव आयोग और गवर्नर की जूरिडक्शन सिर्फ वहीं आती है जहां पर डिसक्वालीफिकेशन एमएलए बनने के बाद हो. अगर पहले से कोई डिसक्वालीफिकेशन चल रहा है और बाद में भी चल रहा है तो उसके लिए इलेक्शन पिटिशन पर सुनवाई होती है. इस तरह मामले को सुनने का क्षेत्राधिकार किसे है वह तय होना चाहिए. चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है.
दुमका के विधायक और सीएम हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन के खिलाफ बीजेपी ने राज्यपाल के समक्ष शिकायत की थी. राज्यपाल ने बीजेपी के शिकायत पत्र को चुनाव आयोग के पास भेजा था. बसंत पर दुमका में पत्थर खदान लीज पर लेने का आरोप है. बसंत सोरेन इस मामले में भारत निर्वाचन आयोग को पहले ही अपना जवाब भेज चुका है. इस मामले में 22 अगस्त को पहले सुनवाई होनी थी. लेकिन तिथि बढ़ाकर आयोग ने 29 अगस्त को किया, जिसपर सुनवाई हुई है.