रांची:10वीं और 12वीं के तमाम बोर्ड के परीक्षा परिणाम आने के बाद अब मिशन एडमिशन शुरू हो चुका है. मिशन एडमिशन को लेकर विद्यार्थियों के अलावा अभिभावकों की भी परेशानियां बढ़ गई है. प्रत्येक वर्ष झारखंड में लाखों विद्यार्थी 10वीं और 12वीं में पास आउट होते हैं और अपने राज्य के अलावा बाहर के राज्यों में भी नामांकन लेने जाते हैं, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इस बार परिस्थितियां अलग हैं. अभिभावक बच्चों को बाहर भेजना नहीं चाहते हैं. ऐसे में झारखंड के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और प्लस 2 स्कूलों में एडमिशन का भार बढ़ गया है और इसे लेकर मारामारी भी शुरू हो गई है.
सीबीएसई, आईसीएसई, झारखंड एकेडमिक काउंसिल के तमाम परीक्षाओं का परिणाम आ चुका है. अब उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए एडमिशन को लेकर मारामारी शुरू हो गई है. कोरोना महामारी के वजह से अभिभावक इस सत्र में बच्चों को अन्य राज्यों में पढ़ने नहीं भेजना चाहते हैं. ऐसे में इस सेशन में झारखंड के छात्र झारखंड के विश्वविद्यालय और कॉलेजों में पठन-पाठन करना पसंद करेंगे. प्रत्येक वर्ष झारखंड में 12वीं पास करीब एक तिहाई विद्यार्थी उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए दूसरे राज्यों की ओर रुख करते हैं. लेकिन इस बार हालत अलग है और एडमिशन को लेकर राज्य में मारामारी भी चल रही है, सीबीएसई ओर आईसीएसई मिलाकर इस बार लगभग 60 हजार से अधिक विद्यार्थी सफल हुए हैं. तो वहीं झारखंड एकेडमिक काउंसिल से पासआउट विद्यार्थियों की संख्या भी लाखों में है. 2 लाख 88 हजार छात्र मैट्रिक में सफल हुए हैं. अब ये विद्यार्थी इंटर में एडमिशन लेंगे, वहीं इंटरमीडिएट में 1 लाख 71 हजार 947 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए हैं जो ग्रेजुएशन में एडमिशन ले रहे हैं.
लाखों विद्यार्थी जाते हैं अन्य राज्यों में पढ़ने बाहर
विद्यार्थियों के स्नातक में नामांकन के लिए विभिन्न कॉलेजों में सीटों की आवश्यकता है. इस राज्य में उपलब्ध कॉलेजों की बात करें तो सरकारी और गैर सरकारी मिलाकर कुल 313 कॉलेज उपलब्ध है. इनमें 178 सामान्य कॉलेज और अन्य तकनीकी और पॉलिटेक्निक कॉलेज है. प्रति कॉलेज 500 सीटों की भी अगर हम बात करें तो राज्य में लगभग डेढ़ लाख सीटें ही उपलब्ध हैं. ऐसे में राज्य में इस वर्ष पास आउट हुए तमाम विद्यार्थियों का एक साथ नामांकन होना काफी कठिन है. प्रत्येक वर्ष 80 हजार से अधिक छात्र पढ़ाई के लिए बाहर जाते हैं. इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए भी हजारों छात्र अन्य शहरों में जाते हैं. इसके अलावा ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के साथ-साथ मैनेजमेंट कोर्स करने वाले विद्यार्थियों की संख्या भी हजारों में है. आंकड़ों पर जाएं तो 30 हजार छात्र-छात्रा सिंपल कोर्स करने के लिए सीट न होने की वजह से बाहर पलायन कर जाते हैं.
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झारखंड के विश्वविद्यालयों में पढ़ने को इच्छुक विद्यार्थी
झारखंड में रांची विश्वविद्यालय, बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, बिरला इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी, आईआईएम, आईएसएम, विनोबा भावे विश्वविद्यालय, सिदो-कान्हू मुर्मू यूनिवर्सिटी, बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल यूनिवर्सिटी, कोल्हान यूनिवर्सिटी, नीलांबर-पीतांबर यूनिवर्सिटी, डीएसपीएमयू, सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड के अलावे कई प्राइवेट यूनिवर्सिटी भी है. लेकिन इन विश्वविद्यालयों में लिमिटेड सीटें होने की वजह से बेहतर उच्च शिक्षा हासिल करने वाले इच्छुक विद्यार्थी बाहर की ओर ही रुख करना पसंद करते हैं. वहीं कॉलेजों की बात करें तो संत जेवियर कॉलेज, मारवाड़ी कॉलेज, संत कोलंबस कॉलेज, विमेन कॉलेज, एसएसएलएनटी कॉलेज जैसे कॉलेजों में पढ़ने की होड़ हर वर्ष मची रहती है और इस वर्ष जब अधिकांश विद्यार्थी बाहर नहीं जाएंगे. ऐसे में राज्य के इन विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में नामांकन को लेकर भीड़ बढ़ने शुरू हो गई है.
नामांकन को लेकर भी प्रतिस्पर्धा