रांची: चाईबासा में सात ग्रामीणों की निर्मम हत्या की घटना ने पूरे राज्य को झंकझोर कर रख दिया है. सभी को कुल्हाड़ी से मारा गया है. मृतकों की पहचान बुरूबुलीकेरा गांव निवासी के रूप में हुई है. इस पूरे घटनाक्रम पर हमारे वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह ने बात की झारखंड सरकार में मंत्री और पूर्व आईपीएस डॉ. रामेश्वर उरांव से.
मंत्री रामेश्वर उरांव से खास बातचीत पार्ट-1 मंत्री रामेश्वर उरांव ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि उनकी सरकार पूरे मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच कराएगी और दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा. अभी तक जानकारी के मुताबिक पत्थलगड़ी को लेकर ग्रामीणों के बीच विवाद हुआ था. 19 जनवरी को विवाद बढ़ गया था. बताया गया कि उपमुखिया जेम्स बुढ़ पत्थलगड़ी का विरोध कर रहे थे. इसी विवाद के बाद पत्थलगड़ी समर्थकों ने सात ग्रामीणों को अगवा कर लिया और सभी की निर्मम तरीके से हत्या कर दी.
मंत्री रामेश्वर उरांव से खास बातचीत पार्ट-2 मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि आदिवासी समाज की परंपरा का हिस्सा है पत्थलगड़ी, लेकिन कुछ लोग इसे गलत तरीके से परिभाषित कर रहे हैं. यह बेहद गलत है. उनसे यह पूछा गया कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनने के साथ ही पूर्ववर्ती रघुवर सरकार द्वारा पत्थलगड़ी समर्थकों पर दर्ज राजद्रोह की धारा हटाने की घोषणा कितनी जायज है. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अगर कोई भी कानून को अपने हाथ में लेता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होती है. इसका मतलब यह नहीं कि कोई पत्थलगड़ी करे तो उनके उपर राजद्रोह की धारा भी लगायी जाए. क्योंकि लोग गुमराह होकर भी कुछ ऐसे कदम उठाते हैं.
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चाईबासा में हुई घटना पर उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी घटना कैसे घटी, इसके जड़ में जाना जरूरी है. हांलाकि, शुरूआती पड़ताल से पता चला है कि गांव के दो समूह में कुछ विवाद चल रहा था. कैबिनेट विस्तार और पोर्टफोलियों के विभाजन में हो रही देरी के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह एक प्रक्रिया का हिस्सा है और जल्द ही कैबिनेट का स्वरूप तय हो जाएगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि गणतंत्र दिवस से पहले कैबिनेट को लेकर सारी चीजें स्पष्ट हो जाएंगी.