रांची: कोरोना संक्रमण को देखते हुए बड़ी संख्या में अन्य राज्यों से प्रवासी श्रमिक पलायन कर झारखंड पहुंचे थे. जैसे ही संक्रमण का रफ्तार थोड़ा कम हुआ प्रवासी मजदूर वापस लौटने की तैयारी में है. जिला से जो ट्रेन खाली जा रही थीं, अब उन ट्रेनों में सीट खाली नहीं है. यह वैसी ट्रेनें हैं, जिसके जरिए कामगार दूसरे प्रदेश जाते हैं. आंकड़े पर गौर करें तो बड़ी संख्या में एक बार फिर झारखंड से लोग विभिन्न राज्यों की ओर रुख करना शुरू कर दिया है.
एक बार फिर झारखंड के श्रमिक अन्य राज्यों की ओरः सूरत, मुंबई, पंजाब जैसे क्षेत्रों में जाने वाली ट्रेनों में नहीं है सीट खाली
कोरोना संक्रमण को लेकर बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक एक बार फिर रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों की ओर जाने की तैयारी में जुट गए हैं. जिसके कारण सूरत, मुंबई, पंजाब जैसे क्षेत्रों में जाने वाली ट्रेनों में सीट खाली नहीं है.
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हजारों प्रवासी श्रमिक लौटे
बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार एक बार फिर झारखंड लौटे हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण के रफ्तार जैसे ही धीरे-धीरे कम हो रही है, दोबारा यह श्रमिक रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों की ओर जाने की तैयारी में जुट गए हैं. रांची रेल मंडल से मिली जानकारी के मुताबिक वैसे ट्रेनों में सबसे अधिक भीड़ चल रही है, जो ट्रेने उन प्रदेशों की ओर जाते हैं. जहां झारखंड के श्रमिक सबसे अधिक काम करते हैं. रोजगार की तलाश में हर साल हजारों श्रमिक विभिन्न प्रदेश जाते हैं और कोरोना वायरस के दौरान भी श्रमिकों का आना जाना लगा हुआ है .
इन ट्रेनों में अधिक सफर करते है प्रवासी श्रमिक
आंकड़ा बताते हैं कि अन्य राज्यों में काम करने वाले श्रमिक सबसे ज्यादा गरीब रथ स्पेशल ट्रेन, हटिया पुणे लोकमान्य तिलक टर्मिनल मुंबई, पंजाब होकर चलने वाली संबलपुर जम्मू तवी एक्सप्रेस और दिल्ली जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस से भी सफर करते हैं. इन ट्रेनों में भारी संख्या में एक बार फिर बुकिंग हो रही है.
नहीं है सीटें खाली
रांची रेल मंडल के सीनियर डीसीएम की माने तो रांची नई दिल्ली रांची एक्सप्रेस के लिए बुकिंग अधिक हो रही है. गरीब रथ स्पेशल ट्रेन में 31 मई को 179, 1 जून को 183 और 4 जून को 67 वेटिंग चल रही है. हटिया पुणे स्पेशल ट्रेन में भी वेटिंग है.
सूरत जाने वाली ट्रेनों में सीट फुल
सूरत जाने वाली स्पेशल ट्रेनों में भी सीटें फुल हो चुकी है. वर्तमान में रांची रेल मंडल से 38 जोड़ी एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनें चल रही है और एक बार फिर इन ट्रेनों में यात्रियों की संख्या एकाएक बढ़ रही है. इसका सीधा संकेत है कि एक बार फिर श्रमिक कोरोना की रफ्तार को कम आंकते हुए अन्य राज्यों की ओर रुख करने शुरू कर दिए हैं.