रांची: झारखंड सरकार के एक आदेश ने प्रदेश के लगभग एक लाख शिक्षकों की सांस अटका दी है. दरअसल, राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में बंटने वाले मिड डे मील का अनाज गांव में जाकर बच्चों को देने का निर्देश दिया है. इस बाबत 20 मार्च को शिक्षा विभाग के प्रधान महासचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह ने एक ऑर्डर जारी किया है, जिसमें साफ कहा गया है कि कोरोना वायरस नामक महामारी की गंभीरता को देखते हुए यह तय किया गया है कि 14 अप्रैल तक विद्यालय बंद रहेंगे.
ऐसे में मिड डे मील के तहत एलिजिबल छात्र-छात्राओं को पका हुआ मध्यान भोजन या खाद्यान और कुकिंग कॉस्ट की राशि जो भी संभव हो प्राप्त कराने का निर्देश दिया गया है. आर्डर में साफ लिखा है कि चूंकि पका हुआ मध्यान भोजन के लिए बच्चों को विद्यालय परिसर में उपस्थिति अनिवार्य होगी, जो मौजूदा परिप्रेक्ष्य में संभव नहीं है. इसलिए राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमिटी ने निर्णय लिया है कि छात्र-छात्राओं को कुकिंग कॉस्ट के साथ खाद्यान्न दिया जाए.
सरकार ने दिया है आदेश
इसके लिए विद्यालय के प्रधानाध्यापक या प्रभारी प्रधानाध्यापक बंद अवधि में चावल कुकिंग कॉस्ट के साथ दें. वहीं, कक्षा एक और दो के लिए प्राप्तकर्ता विद्यार्थी और अभिभावक दोनों में से किसी एक का हस्ताक्षर भी पंजी में लें, जिससे स्पष्ट हो कि लाभुक तक अनाज दिया गया. वहीं, पूरक पोषाहार भी इसी तरह दिए जाने का निर्देश दिया गया है. वितरण का कार्य सुबह 9 बजे से लेकर दोपहर 1 बजे तक किया जाना है और इसकी सूचना भी पहले दी जानी है. इतना ही नहीं छात्र-छात्राओं के बीच डिस्ट्रीब्यूशन का फोटोग्राफ और वितरण के बाद रजिस्टर का फोटो लेकर उसे व्हाट्सएप या ईमेल से भेजना है.
शिक्षक संघ ने उठाए सवाल