रांची: राज्य के हड़ताली मनरेगाकर्मी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. बढ़ती महंगाई में इनके मानदेय में इजाफे की मांग भी वाजिब है. इनकी मांगों पर सरकार कब तक फैसला लेगी यह स्पष्ट नहीं है. अब सवाल है कि झारखंड के मनरेगा कर्मी अपने मानदेय में कैसे इजाफा कर सकते हैं. इसके लिए मानव दिवस के सृजन की संख्या में इजाफा करना होगा.
दरअसल, मनरेगा कर्मियों का मानदेय, मनरेगा को मिलने वाले प्रशासनिक व्यय से दिया जाता है. इसके तहत जितना ज्यादा मानव दिवस सृजित होगा उतनी ही प्रशासनिक मद में राशि बढ़ेगी. ऐसा होने पर मनरेगा कर्मियों का मानदेय बढ़ जाएगा. मनरेगा एक्ट के मुताबिक जो राशि खर्च होगी उसी का 6 प्रतिशत प्रशासनिक व्यय खर्च होगा. उदाहरण के तौर पर अगर कोई प्रखंड 10 लाख खर्च करता है तो वह प्रशासनिक व्यय मद में 60 हजार रुपए का हकदार होगा. यानी 60 हजार रुपए मनरेगा कर्मियों के मानदेय के मद में जाएंगे. जो नाकाफी होगा.
पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां हर दिन 25 लाख मानव दिवस सृजित किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ की तुलना में व्यय करें तो मानदेय दोगुना से भी अधिक हो जाएगा और राज्य योजना पर अतिरिक्त भार भी नहीं पड़ेगा.