रांची: कोरोना वायरस (corona virus) ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है. कोरोना वायरस (corona virus) दिल और फेफड़ों पर गंभीर रूप से वार करता है. लेकिन अब नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि कोरना वायरस दिमाग (Brain) पर भी गंभीर असर डालता है. कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद भी ये वायरस शरीर में कई बीमारियां छोड़ जा रहा है. जो लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है. रिम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग के एचओडी (Hod of RIMS Department of Neurosurgery) डॉ अनिल कुमार भी मानते हैं कि कोरोना की वजह से कई मरीजों की यादाश्त पर असर पड़ रहा है.
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क्यों हो रहा है कोरोना को परास्त कर चुके लोगों को मेमोरी लॉस
रिम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग के Hod डॉ अनिल कुमार ने बताया कि कोरोना संक्रमण का असर सबसे ज्यादा फेफड़े पर पड़ता है. ऐसे में लंग्स ठीक से काम नहीं करते और उसका असर यह होता है कि कई बार मरीजों के ब्रेन को भी ठीक ढंग से ऑक्सीजन नहीं मिल पाता. डॉ अनिल के अनुसार कई बार ऐसा भी देखा गया है कि कोरोना संक्रमण की वजह से मरीज के शरीर मे पहले ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और शुरू में सांस लेने में कोई परेशानी नहीं होती. ऐसे मरीज को जबतक सांस लेने में शिकायत वाले लक्षण आते हैं तब तक ब्रेन को नुकसान पहुंच चुका होता है. Hypoxia या हैपोक्सिया डैमेज के चलते मेमोरी लॉस के भी केस मिल रहे हैं.
डॉ अनिल कुमार, एचओडी, न्यूरो सर्जरी, रिम्स किन लोगों पर खतरा ज्यादा
डॉ अनिल कुमार ने रिम्स में मरीजों के इलाज और अनुभव के आधार पर ईटीवी भारत के माध्यम से बताया कि मधुमेह यानि ब्लड शुगर के मरीजों, किडनी के मरीजों या दो से ज्यादा बीमारियों से जूझ रहे मरीजों और अधिक उम्र वाले संक्रमितों में कोरोना के बाद मेमोरी लॉस का खतरा ज्यादा रहता है.
डॉ अनिल कुमार, एचओडी, न्यूरो सर्जरी, रिम्स ऑक्सीमीटर में ऑक्सीजन की मात्रा कम दिखे तो हो जाएं सावधान
डॉ अनिल कुमार ने बताया कि कोरोना संक्रमित वैसे मरीज जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखता वह शायद ही ऑक्सीमीटर से खून में ऑक्सीजन की मात्रा देखते होंगे. कई बार यह खतरनाक होता है क्योंकि कोई फिजिकल लक्षण शरीर मे नहीं दिखता पर खून में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने से ब्रेन को भी इस परिस्थिति में नुकसान पहुंच जाता है.
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अगर मेमोरी लॉस के लक्षण दिखे तो क्या करें
प्रोफेसर डॉ अनिल कुमार ने बताया कि कोरोना से ठीक होने के बाद यह लगे कि वह कोई बात जल्दी भूल जा रहे हैं या पहले की बातों को याद करने में सामान्य से अधिक वक्त लग रहा है तो इसे सामान्य बात न मानकर गंभीरता से लें. अगर किसी के साथ ऐसा हो रहा हैतो तत्काल डॉक्टर से सलाह लें. उनके सलाह पर जरूरी जांच कराएं और दवा लें. डॉ अनिल के अनुसार इस तरह के मेमोरी लॉस में ब्रेन की जांच में ज्यादा फाइंडिंग नहीं आती है पर योग्य डॉक्टर अपने अनुभव से बीमारी को पकड़ लेते हैं.
कुछ दवाएं हैं जो मेमोरी लॉस में बढ़िया काम करती हैं पर काम करेगी ही यह तय नहीं
रिम्स के डॉ अनिल कुमार ने बताया कि कुछ दवाएं हैं जो मेमोरी लॉस में बेहतर काम करती हैं, पर ये दवाएं काम करेगी ही यह तय नहीं है. अगर ब्रेन डैमेज छणिक (temporary) है तो धीरे-धीरे लॉस मेमोरी की समस्या दूर हो जाती है पर इसके लिए जरूरी है कि शुगर, बीपी या किडनी की बीमारियों को कंट्रोल में रखें.