रांची: पूरे देश में लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने को लेकर मंथन शुरू हो चुका है. झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है. आदिवासियों में शादी की रीति-रिवाज अलग है. लड़कियों की शादी की उम्र में बदलाव को लेकर झारखंड के आदिवासी समुदाय क्या सोचते हैं, जानिए उनकी राय.
किसी देश की बुनियाद तभी मजबूत हो सकती है जब वहां की महिलाएं स्वस्थ और शिक्षित हों. इस दिशा में देशभर पहल हो रही है और अब शायद ही कोई ऐसा सेक्टर है जहां महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती ना दिखती हों. इस बीच लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने को लेकर मंथन शुरू हुआ है. झारखंड में इसका क्या असर होगा ये समझने के लिए ईटीवी भारत ने बात की रांची यूनिवर्सिटी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर और आदिवासी मामलों के जानकार मानवशास्त्री डॉक्टर करमा उरांव से.
कुटुंब तय करते हैं शादी की बात
मानवशास्त्री डॉक्टर करमा उरांव ने बताया कि आदिवासी बहुल इस राज्य का सामाजिक ताना-बाना कई परंपराओं पर आधारित है. लड़कियों के हक के मामले में यहां का समाज बेहद समृद्ध रहा है. आदिवासी समाज में महिलाओं को हर फैसले में प्राथमिकता दी जाती है. इस समाज में बाल विवाह की धारणा कभी नहीं रही है. आदिवासी समाज में जब शादी की बात चलती है तो यह फैसला सिर्फ दो परिवार नहीं बल्कि दोनों परिवारों का कुटुंब तय करता है.