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क्या पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भी जाएंगे जेल! जानिए वजह - Many cases against Raghubar Das

मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान कई ऐसे निर्णय हैं, जो उनके लिए भविष्य में मुसीबतें खड़ी कर सकती है. शिकायतकर्ता हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि दरअसल ज्यादातर शिकायतें खनन विभाग, भवन निर्माण विभाग, जनसंपर्क विभाग और वैसे विभागों से जुड़ी है, जिसका कस्टोडियन खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री के पास था.

former CM Raghubar Das
रघुवर दास

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Published : Jan 11, 2020, 8:13 PM IST

रांची: एकीकृत बिहार में चारा घोटाल मामले में लालू यादव जेल गए. इसके बाद अलग हुए झारखंड में मधु कोड़ा जेल गए. रघुवर दास के कार्यकाल में कई ऐसे निर्णय हैं, जो रघुवर दास के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में तत्कालीन मंत्री सरयू राय पहले ही कह चुके हैं कि मैं नहीं चाहता कि दो मुख्यमंत्री जेल गए हैं और तीसरे भी जेल जाएं. इन सब कारणों से पूर्व सीएम रघुवर दास की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है. रघुवर दास के कार्यकाल में किन विभाग पर सवाल खड़ा हुए जानिए इस रिपोर्ट में.

फाइल वीडियो

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान कई ऐसे निर्णय हैं, जो उनके लिए भविष्य में मुसीबतें खड़ी कर सकती है. इसकी एक झलक तब देखने को मिली जब उन्हीं के सरकार के कार्यकाल में बने एंटी करप्शन ब्यूरो में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई.

हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उनके कार्यकाल में ऐसा कोई काम नहीं हुआ है जिसकी वजह से उन्हें परेशानी उठानी पड़े. बावजूद इसके दर्ज मामले काफी गंभीर नेचर के हैं. शिकायतकर्ता हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि दरअसल ज्यादातर शिकायतें खनन विभाग, भवन निर्माण विभाग, जनसंपर्क विभाग और वैसे विभागों से जुड़ी है, जिसका कस्टोडियन खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री के पास था.

अधिवक्ता राजीव कुमार का बयान

माइनिंग डिपार्टमेंट के मामले हाई प्रोफाइल
राजीव रंजन ने दावा किया कि माइनिंग डिपार्टमेंट से जुड़ा मामला हाई प्रोफाइल है. हैरत की बात यह है कि वैसे लोगों को एक साल तक माइनिंग करने दी गई, जिनके पास न तो नो एनओसी सर्टिफिकेट था और न ही कंसेंट टू ऑपरेट था. अगर उस दौरान की टोटल माइनिंग को देखा जाए तो उसका कॉस्ट लगभग 12 सौ करोड़ रुपए आता है. इसी बारे में एसीबी में शिकायत दर्ज कराई गई है और अब वह पैसे वापस वसूले जाने चाहिए. अधिवक्ता ने कहा कि इस मामले में अब एसीबी के अधिकारियों को सरकार से इजाजत लेकर आगे की कार्यवाही में तेजी दिखानी चाहिए.

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चिट्ठी से हुआ था मामला उजागर
उन्होंने दावा कि यह मामला तब सामने आया जब तत्कालीन सचिव यूपी सिंह ने एडवोकेट जनरल को पत्र लिखकर इस बाबत सूचना दी और कथित इलीगल माइनिंग की चर्चा की. हैरत की बात यह है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के पास खनन विभाग था और वही सर्वे सर्वा थे.

अन्य विभागों में भी हुई हैं गड़बड़ियां
राजीव कुमार ने दावा किया कि कई मामले हैं, जिनमें पूर्ववर्ती सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. उनमें भवन निर्माण, हाईकोर्ट विधानसभा का मामला है. इसमें ठेकेदार, तत्कलीन मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारी, मुख्यमंत्री के तत्कालीन सलाहकार, तत्कालीन मुख्यमंत्री के तत्कालीन प्रिंसिपल सेक्रेट्री शामिल हैं. वहीं, दूसरा मामला माइंस डिपार्टमेंट का है, जिसमें राज्य सरकार ने उस माइंस को एक्सटेंशन दिया, जिसे माइंस चलाने का कोई क्वालिफिकेशन नहीं था.

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कंबल घोटाला पर अभी तक पड़ा है पर्दा
उन्होंने कहा कि अभी तक कंबल घोटाले को लेकर तस्वीर साफ नहीं हुई है. गरीबों को कंबल देने के मामले में करीब 15 करोड़ का घोटाला हुआ. इसके साथ ही पीआरडी में घोटाला हुआ, राज्य से 58 करोड़ का माइका एक्सपोर्ट कर दिया गया. इसके साथ ही कंस्ट्रक्शन से काफी मामले हैं, जिनमें इस सरकार को त्वरित कार्रवाई करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम समेत कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के खिलाफ भी एसीबी में शिकायत की गई है. इनमें पूजा सिंघल पुरवार, पूर्व चीफ सेक्रेटरी राजबाला वर्मा समेत कई के नाम शामिल हैं.

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