रांची: राज्य में कोरोना संकट के बीच राजनीतिक सरगर्मी भी लगातार तेज हो रही है. क्योंकि बेरमो और दुमका में जल्द ही उपचुनाव की तारीख की घोषणा होने वाली है और यहां पर सभी पार्टियां पूरे दमखम के साथ अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए जी जान लगा रही है. एक तरफ राज्य की सत्ता पक्ष झारखंड मुक्ति मोर्चा तो है दूसरी तरफ राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी दोनों सीटों पर अपने-अपने दल को जिताने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.
वहीं, अगर बात करें बोकारो जिले के बेरमो विधानसभा सीट की तो इस सीट पर फिलहाल महागठबंधन की तरफ से कांग्रेस का कब्जा था, लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेता राजेन्द्र सिंह की मौत के बाद यह सीट खाली हो गई. वहीं, इस सीट पर राज्य के मुख्य विपक्षी दल बीजेपी का भी दबदबा रहा है. राजेंद्र सिंह से पहले योगेंद्र प्रसाद बाटुल इस क्षेत्र से विधायक के तौर पर परचम लहरा चुके हैं, लेकिन यूपीए और एनडीए के अलावा बेरमो विधानसभा सीट पर वामदल की ओर से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का भी खासा प्रभाव रहा है. भले ही इस सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी अपनी जीत हासिल न करा पाई हो, लेकिन वोट लेने के मामले में यह पार्टी भी पीछे नहीं रही है.
इसको लेकर हमने जब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रवक्ता अजय कुमार सिंह से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि सीपीआई इस सीट पर भले ही जीत प्राप्त न कर पाई हो, लेकिन लोगों का झुकाव इस पार्टी के लिए हमेशा रहा है. वहीं, राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी जोरों पर है कि महागठबंधन को लाभ पहुंचाने के लिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी अपने प्रत्याशी खड़ा करने का काम कर रही है, लेकिन पूरे मामले पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का कहना है कि हमारे जो भी प्रत्याशी होंगे उनको जीत दिलाने के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे न कि महागठबंधन के प्रत्याशी फायदा पहुंचाने की कोशिश करेंगे. हमने महागठबंधन का समर्थन मुद्दों के आधार पर दिया है. वहीं, कई मुद्दों पर आज भी हमारा मतभेद है इसीलिए चुनाव में हम हमेशा ही अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए मेहनत करते हैं ताकि गरीब और शोषित लोगों की आवाज को सदन में बुलंद कर सकें.