रांचीः चारा घोटाला में दोषी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें फिलहाल कम होती नहीं दिख रही. दुमका कोषागार घोटाला मामले में लालू यादव की जमानत पर सुनवाई टल गई है. झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश अपरेश कुमार की अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई में लालू प्रसाद यादव की ओर से वकील प्रभात कुमार मौजूद रहे. अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 11 दिसंबर की तारीख तय की है.
चारा घोटाला के खुलासे से अब तक नहीं कम हो रही मुसीबत
इससे पहले लालू प्रसाद यादव पर केली बंगला में रहते हुए जेल मैन्युअल के उल्लंघन का आरोप लगा है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने ट्वीट कर लालू पर सरकार को गिराने की साजिश का आरोप लगाया था. इस मामले में बिहार में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है वहीं झारखंड हाई कोर्ट में एक पीआईएल भी दाखिल की गई है.
चारा घोटाले के अलग-अलग मामलों में दोषी करार दिए गए लालू रांची के बिरसा मुंडा कारा में बंद थे. बाद में स्वास्थ्य संबंधी शिकायतों के बाद उन्हें रांची स्थित रिम्स में भर्ती किया गया था. वे करीब दो साल से रिम्स में इलाजरत हैं. हालांकि कोरोना महामारी के समय अस्पताल प्रशासन ने उम्र और बीमारी को देखते हुए उन्हें निदेशक बंगला में शिफ्ट कर दिया था. 5 सितंबर को पेइंग वार्ड के जिस कमरा नंबर 11 से लालू प्रसाद को शिफ्ट किया गया था, 26 नवंबर को फिर से पेइंग वार्ड के उसी कमरा नंबर 11 में उन्हें पहुंचा दिया गया है.
ये भी पढ़ें-लालू यादव फोन मामले में जेल और जिला प्रशासन आमने-सामने, जांच के बाद होगी आगे की कार्रवाई
चारा घोटाला का पूरा मामला
27 जनवरी 1996 को पश्चिम सिंहभूम जिले में पशुधन विभाग पर तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे के छापे के दौरान पता चला कि चारा सप्लाई के नाम पर जिन कंपनियों को भुगतान किया गया था, उन कंपनियों का अस्तित्व ही नहीं था. जांच में अलग अलग कोषागारों से करीब 950 करोड़ रुपए का घोटाला पाया गया.
चारा घोटाला और लालू प्रसाद यादव उस वक्त झारखंड बिहार से अलग नहीं हुआ था और राज्य में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार थी. विपक्ष ने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि इतना बड़ा घोटाला सरकार की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता. उन्होंने घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की. 11 मार्च 1996 को पटना हाईकोर्ट ने घोटाले की जांच सीबीआई को ट्रांसफर करने के आदेश दिए.
सीबीआई ने जांच के बाद लालू यादव सहित 55 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जिसमें धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराएं थीं. 27 जुलाई 1997 को लालू यादव ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर 30 जुलाई को सीबीआई कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. 5 अक्टूबर 2001 को सुप्रीम कोर्ट ने नया राज्य झारखंड बनने के बाद मामला यहां स्थानांतरित कर दिया. 30 सितंबर 2013 को रांची में सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने दो पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू यादव और जगन्नाथ मिश्र समेत 45 लोगों को दोषी करार दिया. लालू यादव पर झारखंड में चारा घोटाला के चाईबासा, देवघर, दुमका और डोरंडा कोषागार के चार मामले चल रहे हैं. डोरंडा केस की सुनवाई जारी है और बाकी के मामलों में सजा दी जा चुकी है.