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सिताबदियारा में जेपी के चेले हर साल बनाते सपनों का महल, फिर भी बुनियादी सुविधाएं बेहाल

लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर सिताबदियारा में हर साल बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. यहां हर साल 11 अक्तूबर को जेपी जयंती मनाने की प्रथा रही है. गांव में बहुत कुछ बदला है, किंतु उसे यहां के लोग नाकाफी मानते हैं.  जेपी के गांव में उनके अनुयायी हर सपनों का महल बनाते हैं. जेपी के प्रमुख अनुयायियों में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद शामिल हैं. गृह मंत्री भी इस बार कार्यक्रम में भाग लेने पहुंच रहे हैं.(Lack of basic amenities in Sitabadiyara)

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Published : Oct 11, 2022, 12:38 PM IST

छपरा(सारण): जिले का सिताबदियारा देश के लिए महत्वपूर्ण स्थान है. 1974 आंदोलन के प्रणेता और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले लोकनायक जयप्रकाश नारायण की यह जन्म भूमि है. स्वतंत्रता के 75 साल बाद भी यह आम गांव की तरह ही दिखता है. आज भी यहां के लोगों को बुनियादी सुविधाएं मयस्सर नहीं है. जयप्रकाश नारायण की जयंती पर सिताबदियारा में हर साल बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. जेपी के गांव में उनके अनुयायी हर साल सपनों का महल बनाते, लेकिन पूरा नहीं होता. बता दें कि जेपी के प्रमुख अनुयायियों में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद शामिल हैं. (Lack of basic amenities in Sitabadiyara).

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बाढ़ के कटाव से यहां खराब हो जातीः सबसे ज्यादा स्थिति बाढ़ के कटाव से यहां खराब हो जाती है. मो. रियाजुद्दीन ने बताया कि सारण जिले के सांसद राजीव प्रताप रूडी ने इस गांव को गोद लिया है उसके बाद भी यहां की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. यह इलाका सारण जिले के रिविलगंज प्रखंड के अंतर्गत आता है. रिविलगंज के सरयू नदी के उस पार अवस्थित है. यहां जाने के लिए स्थानीय लोगों को जिला मुख्यालय छपरा आने के लिए मांझी पुल और यूपी होकर लगभग 15 किलोमीटर की दूरी अधिक तय करके आना जाना पड़ता है जिससे लोगों को काफी परेशानी होती है. रियाजुद्दीन के साथ रहे अन्य लोगों का कहना था कि यहां जेपी-जेपी राग अलापने वाले कभी भी उनके दर्द को महसूस नहीं करते. अपनी राजनीति की रोटी सेक कर वापस चले जाते हैं.

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जेपी के गांव में बिजली नहींःस्थानीय युवक पप्पू सिंह ने बताया कि यहां स्वास्थ्य केंद्र है पर डॉक्टर नहीं आते हैं. शिक्षा के लिए स्कूल है, लेकिन मास्टर नदारद रहते हैं. 24 घंटे में मुश्किल से 5 से 6 घंटे बिजली आती है. रविवार काे मुख्यमंत्री ने यहां एक अस्पताल का भी उद्घाटन किया है लेकिन उसके बाद भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती. आज 8 अक्टूबर को जेपी की पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचे. उनके स्वागत के लिए पूरा जिला प्रशासन जुटा रहा. मांझी पार करते ही अगर उत्तर प्रदेश की सीमा से इस गांव में जाया जाए तो सड़कें उबड़ खाबड़ ही हैं हालांकि बिहार सरकार द्वारा काफी तेजी से सड़कों का निर्माण किया जा रहा है लेकिन अभी भी स्थिति ठीक नहीं है. जेपी जयंती पर दो या तीन दिनों के लिए सभी सुविधाएं ठीक कर दी जाती हैं, उसके बाद पुन: पहले जैसा हाल हो जाता है.

जेपी की फाइल फोटो

11 अक्टूबर को सिताब दियारा आएंगे अमित शाहः बता दें 11 अक्टूबर को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती (JP Birth Anniversary) है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 11 अक्टूबर को सारण के सिताब दियारा (Amit Shah in Sitab diara) में जेपी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. बिहार बीजेपी की ओर से जेपी जयंती के दिन उनके पैतृक गांव सिताब दियारा में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जिसे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह संबोधित करेंगे.

लोकनायक जयप्रकाश नारायण (फाइल फोटो)

1977 में 'संपूर्ण क्रांति आंदोलन':11 अक्टूबर 1902 में जेपी का जन्म सिताबदियारा में हुआ था.जयप्रकाश नारायण को वर्ष 1977 में हुए 'संपूर्ण क्रांति आंदोलन' के लिए जाना जाता है लेकिन वह इससे पहले भी कई आंदोलनों में शामिल रहे थे. उन्होंने कांग्रेस के अंदर सोशलिस्ट पार्टी योजना बनायी थी और कांग्रेस को सोशलिस्ट पार्टी का स्वरूप देने के लिए आंदोलन शुरू किया था.इतना ही नहीं जेल से भाग कर नेपाल में रहने के दौरान उन्होंने सशस्त्र क्रांति शुरू की थी. इसके अलावा वह किसान आंदोलन, भूदान आंदोलन, छात्र आंदोलन और सर्वोदय आंदोलन सहित छोटे-बड़े कई आंदोलनों में शामिल रहे और उन्हें अपना समर्थन देते रहे.

सभा को संबोधित करते हुए जेपी (फाइल फोटो)

जयप्रकाश नारायण का 'संपूर्ण क्रांति' आंदोलन:जयप्रकाश नारायण के 'संपूर्ण क्रांति' आंदोलन का उद्देश्य सिर्फ इंदिरा गांधी की सरकार को हटाना और जनता पार्टी की सरकार को लाना नहीं था, उनका उद्देश्य राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव लाना था. जयप्रकाश के जीवन काल में सिर्फ एक राज्य सरकार ऐसी थी जिसने उनके सपनों को साकार करने के लिए कुछ प्रयास किया. राजस्थान में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत ने 'अंत्योदय कार्यक्रम' चलाया था.

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