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आंदोलनकारी बिनोद बिहारी महतो को झारखंड पितामह का दर्जा देने की मांग, धनबाद से राजभवन तक पैदल मार्च करेगा कुरमी विकास मोर्चा - 23 सितंबर को कुरमी/कुड़मी विकास मोर्चा धनबाद से राजभवन तक पैदल मार्च

झारखंड आंदोलन के महानायक बिनोद बिहारी महतो को झारखंड पितामह का दर्जा देने की मांग उठी है. इसको लेकर 23 सितंबर को कुरमी/कुड़मी विकास मोर्चा धनबाद से राजभवन तक पैदल मार्च करेगा.

Kurmi Vikas Morcha will march on foot from Dhanbad to Raj Bhavan on September 23
Kurmi Vikas Morcha will march on foot from Dhanbad to Raj Bhavan on September 23

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Published : Aug 20, 2021, 7:34 PM IST

रांचीः अलग झारखंड राज्य की मांग करने और इस आंदोलन में अपने प्राणों की आहूति देने वाले आंदोलनकारियों को सम्मान देने की मांग उठने लगी है. इसी कड़ी में झारखंड आंदोलन के महानायक बिनोद बिहारी महतो को झारखंड पितामह का दर्जा देने की मांग को लेकर कुरमी विकास मोर्चा सड़क पर उतरेगी.

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राजधानी रांची प्रेस वार्ता के माध्यम से कुरमी/कुड़मी विकास मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि आगामी 23 सितंबर को विनोद बिहारी महतो के घर धनबाद से राजधानी रांची स्थित राजभवन तक पैदल मार्च किया जाएगा.

कुरमी/कुड़मी विकास मोर्चा के अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कहा झारखंड अलग राज्य के आंदोलन में दिवंगत बिनोद बिहारी महतो का अहम योगदान रहा है. इसके बावजूद आज तक बिनोद बिहारी महतो को झारखंड आंदोलनकारी का दर्जा नहीं मिल पाया है. कुरमी/कुड़मी विकास मोर्चा ने राज्य सरकार से मांग की है कि बिनोद बिहारी महतो को झारखंड पितामाह का दर्जा दे. साथ ही राजभवन और विधानसभा में आदम कद प्रतिमा स्थापित कर सम्मान दें.

अध्यक्ष शीतल ओहदार ने आगे कहा कि उनकी प्रतिमा लगने से आने वाले पीढ़ी स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो के बारे में जान सकेंगे. युवा पीढ़ी को अलग झारखंड राज्य बनने में इनकी अहम भूमिका के बारे में जान सकेंगे. झारखंड में आंदोलनकारी सरकार की पार्टी चल रही है, ऐसे में झारखंड आंदोलनकारियों को सम्मान नहीं मिल पाना काफी निंदनीय है. दिशोम गुरु, एनी होरो, बिनोद बिहारी महतो जैसे आंदोलनकारियों के अथक संघर्ष के बाद एक अलग राज्य के रूप में झारखंड यहां के निवासियों को मिला है.

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सरकार को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि आज दुर्भाग्य है कि बिनोद बिहारी महतो को उनका अधिकार दिलाने में सरकार पीछे है. सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द झारखंड आंदोलनकारियों को एक सम्मान देने के साथ-साथ शहीद हुए आंदोलनकारियों की आदमकद प्रतिमा लगाई जाए ताकि लोग उनके बारे में जान सके.

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