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कुड़मी समाज ने 100 घंटे बाद वापस लिया रेल रोको आंदोलन, शनिवार को भी रद्द रहीं दर्जनों ट्रेनें

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Published : Sep 24, 2022, 11:02 PM IST

पिछले पांच दिनों से चले आ रहे कुड़मी समाज का आंदोलन खत्म हो गया है (Kudmi Samaj withdrew rail roko movement). प्रशासन ने उनकी मांगों को लेकर आश्वासन दिया जिसके बाद कुड़मी समाज ने अपना आंदोलन वापस ले लिया. उनके रेल रोको आंदोलन से कई ट्रेन प्रभावित हुईं थीं.

Kudmi Samaj withdrew rail roko movement
Kudmi Samaj withdrew rail roko movement

रांची:कुड़मी समाज ने पिछले पांच दिनों से चला रहा रेल रोको आंदोलन शनिवार को वापस ले लिया है (Kudmi Samaj withdrew rail roko movement). समाज के हजारों लोगों ने पिछले 100 घंटों से पश्चिम बंगाल के कुस्तौर और खेमाशुली में रेलवे ट्रैक को जाम कर रखा था. शनिवार को पुरुलिया जिला अधिकारी कार्यालय में आंदोलनकारियों की मांगों पर वार्ता हुई, जिसमें पश्चिम बंगाल राज्य प्रशासन के सचिव स्तर के अफसर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े.

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पश्चिम बंगाल राज्य प्रशासन की ओर से आश्वस्त किया गया कि उनकी मांगों पर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जायेगा. बैठक के बाद आदिवासी कुड़मी समुदाय के प्रमुख नेता अजीत प्रसाद महतो ने रेलवे ट्रैक और हाइवे से नाकाबंदी हटाने की घोषणा की. बता दें कि कुड़मी जाति को आदिवासी (शेड्यूल्ड ट्राइब) का दर्जा देने की मांग को लेकर बीते 20 सितंबर से रेल और हाइवे रोको आंदोलन चल रहा था. इस आंदोलन की वजह से पिछले पांच दिनों में छह रेल डिविजनों हावड़ा, आद्रा, खड़गपुर, धनबाद, रांची और चक्रधरपुर के विभिन्न स्टेशनों से होकर गुजरने वाली तकरीबन 400 ट्रेनें रद्द हुई हैं और इस वजह से लगभग एक लाख यात्रियों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ा है. महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्टेशनों तक जानेवाली ट्रेनें भी बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई हैं. शनिवार को आंदोलन वापसी की घोषणा तो की गई, लेकिन रेलवे ट्रैक क्लीयर नहीं हो पाने की वजह से दो दर्जन से ज्यादा ट्रेनें शनिवार को भी रद्द की गयीं.

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा कुड़मी समाज के लोग एसटी का दर्जा देने के साथ-साथ कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने की भी मांग कर रहे हैं. ये मांगें पिछले चार दशकों से उठाई जा रही हैं. इस बार तीनों राज्यों के कुड़मी समाज के लोगों ने आंदोलन को तेज करने के लिए संयुक्त संगठन बनाया है.

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