रांचीः सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में निर्वाचन आयोग ने अपनी सिफारिश झारखंड के राज्यपाल को भेज दिया है. जिसमें उन पर लगे आरोप को सही बताए जाने की बात सामने आ रही है. आइए एक नजर डालते हैँ इस मामले में कब क्या हुआ.
12 अगस्त को सुनवाई हुई पूरीः 18 अगस्त को सीएम हेमंत सोरेन की तरफ से मामले में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में 12 अगस्त को निर्वाचन आयोग में दोनों पक्षों की बहस पूरी हुई.सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के समक्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से वरीय अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा के द्वारा मुख्यमंत्री की ओर से पक्ष रखते हुए आयोग से डॉक्यूमेंट सबमिट करने के लिए समय देने की मांग की गई. चुनाव आयोग ने 18 अगस्त तक डॉक्यूमेंट जमा करने की अनुमति दी. हालांकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के वकीलों ने अपनी दलील में दावा किया था कि यह मामला लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए के अधीन आता ही नहीं है. यह भी दलील दी गई कि रांची के अनगड़ा में स्टोन माइनिंग के लिए आवंटित 88 डिसमिल जमीन पर किसी तरह का व्यावसायिक काम नहीं हुआ है. दूसरी तरफ भाजपा ने दलील दी कि खान मंत्री रहते हुए उन्होंने अपने नाम पर खनन पट्टा आवंटित किया था.
8 अगस्त को चुनाव आयोग में हुई थी सुनवाईः12 अगस्त से पहलेमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े इस मामले की सुनवाई 8 अगस्त को हुई. इस दौरान चुनाव आयोग के समक्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से वरीय अधिवक्ता मेद्रीदत्ता ने चुनाव आयोग के समक्ष पक्ष रखा. करीब दो घंटे तक भारत निर्वाचन आयोग में चली सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर लगे आरोप को निराधार बताया गया. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता मेद्रीदत्ता ने आयोग को कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर लगे पीपुल्स रिप्रेजेटेशन एक्ट 1951 की धारा 9A का आरोप निराधार है. मुख्यमंत्री की ओर से जवाब 8 अगस्त को पूरा नहीं हो सका. उन्होंने सुनवाई की तारीख अगस्त के अंतिम सप्ताह में रखने का आग्रह किया. जिसे ठुकराते हुए चुनाव आयोग ने 12 अगस्त को अगली तारीख निर्धारित की.
14 जुलाई को हुई सुनवाईःमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में नई दिल्ली स्थित भारत निर्वाचन आयोग में 14 जुलाई को सुनवाई हुई. इस दौरान चुनाव आयोग के समक्ष बीजेपी की ओर से समय की मांग की गई. बीजेपी की ओर से बहस कर रहे वकील अधिवक्ता कुमार हर्ष ने कहा कि हमें कुछ एडिशनल सबमिशन इस मामले में करना है इसलिए हमने समय की मांग की. जिसके बाद सुनवाई के लिए अगली तारीख 5 अगस्त की दी गई.
28 जून को हुई सुनवाईः14 जुलाई से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े इस मामले में 28 जून को सुनवाई हुई. जिस दौरान मुख्यमंत्री की ओर से समय की मांग की गई थी. जिस पर आयोग ने नाराजगी जताई. आयोग ने उनकी मांग को ठुकरा दिया था. जिसके बाद आंशिक सुनवाई हुई. समय अभाव के कारण आयोग ने अगली सुनवाई 14 जुलाई निर्धारित की. सीएम हेमंत सोरेन की ओर से आयोग के समक्ष मीनाक्षी अरोड़ा और मेन्द्री दत्ता ने पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान बीजेपी की ओर से पूरे मामले को डिसक्वालिफिकेशन का केस बताया गया. काफी देर तक दोनों पक्षों की ओर से हुई सुनवाई के बाद आयोग ने इसे अगली तारीख में सुनवाई जारी रखने को कहा.
14 जून को हुई सुनवाईःऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भारत निर्वाचन आयोग ने 28 जून को पक्ष रखने के लिए अंतिम मौका दिया गया था. इस संबंध में चुनाव आयोग के द्वारा जारी नोटिस को तामिल कराई गई. इस संबंध में प्रार्थी भारतीय जनता पार्टी को भी नोटिस रिसीव कराई गई थी. चुनाव आयोग के द्वारा जारी नोटिस के अनुसार इस मामले की अगली सुनवाई 28 जून को निर्धारित की गई. जिस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को खुद या वकील के माध्यम से पक्ष रखने को कहा गया. सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के समक्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से समय की मांग की गई थी. आयोग से समय की मांग के पीछे की वजह अधिवक्ता का कोरोना पॉजिटिव होना बताया गया था.