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स्टेन स्वामी ने क्यों बनाई थी 'बगैचा', देखें ग्राउंड रिपोर्ट - Ranchi News

झारखंड में आदिवासी और गरीब मूलवासियों के हक की लड़ाई कानूनी रूप से लड़ने वाले स्टेन स्वामी के कस्टडी में इलाज के दौरान निधन पर ईसाई समाज बेहद आहत है. स्टेन स्वामी ने रांची के नामकुम में बगैचा नाम से सोसाइटी बनाई थी. जानिए क्या होता था बगैचा में.

Stan Swamy Bagaicha
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Published : Jul 6, 2021, 5:52 PM IST

रांची: आदिवासी और गरीब मूलवासियों के हक की लड़ाई कानूनी रूप से लड़ने वाले स्टेन स्वामी ने रांची के नामकुम में बगैचा नाम से सोसाइटी बनाई थी. जहां विचारों का आदान प्रदान होता था. बगैचा में अधिकार से वंचित गरीबों को कानून की जानकारी दी जाती थी. ईटीवी भारत की टीम जब बगैचा पहुंची तो वहां सन्नाटा पसरा हुआ था. बगैचा सोसाइटी से जुड़े फादर मार्टिन ने कहा कि विश्वास ही नहीं हो रहा है कि अब हमारे बीच स्टेन स्वामी नहीं रहे. दरअसल, 8 अक्टूबर 2020 को भीमा-कोरगांव केस मामले में एनआईए की टीम ने इसी बगैचा कैंपस से स्टेन स्वामी को हिरासत में लिया था.

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कैदियों को कानूनी सहायता

फादर मार्टिन ने विस्तार से बताया कि स्टेन स्वामी ने बगैचा सोसाइटी की स्थापना क्यों की थी. यहां के लोग कतई माने को तैयार नहीं है कि स्टेन स्वामी किसी भी देश विरोधी घटना में शामिल थे. उनका जीवन बेहद सादा और सरल था. वह समाज के हर गरीब तबके के लिए कानूनी लड़ाई लड़ते थे. उन्होंने लंबे समय से जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों के लिए भी कानूनी लड़ाई शूरू की थी. फादर मार्टिन ने कहा कि स्टेन स्वामी तमिलनाडू से इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद परिवार से अलग होकर गरीबों की सेवा में जुट गए थे.

बगैचा के बारे में जानकारी देते ब्यूरो चीफ राजेश सिंह

60 के दशक में आए झारखंड

स्टेन स्वामी साठ के दशक में ही झारखंड आ गए थे. बाद में उच्च शिक्षा के लिए बेल्जियम भी गए. उनका ज्यादतर समय चाईबासा के इलाके में आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ते हुए बीता. बिहार से अलग होकर राज्य बनने के बाद उन्होंने नामकुम इलाके में बगैचा नाम से सोसाइटी स्थापित की और घूम-घूमकर आदिवासियों और गरीबों के हधिकार की लड़ाई लड़ते रहे.

बगैचा में स्टेन स्वामी को श्रद्धांजलि

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अक्टूबर में हुई थी गिरफ्तारी

अक्टूबर 2020 में एनआईए ने भीमा कोरेगांव केस में फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया था. एनआईए की टीम एसपी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में फादर स्टेन स्वामी के बगइचा स्थित आवास पहुंची थी. जिसके बाद उन्हें वहां से गिरफ्तार कर लिया गया. बाद में उन्हें एनआईए की टीम मुंबई लेकर चली गई. मार्च के अंतिम हफ्ते में मुंबई की एक विशेष अदालत ने एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार ट्राइबल राइट एक्टिविस्ट स्टेन स्वामी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

बगैचा की तस्वीर

फादर स्टेन पर लगे आरोप

स्टेन स्वामी की साथी दामू वानरा ने बताया कि स्वामी लगातार कहते थे कि गरीबों, आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ो, लेकिन कानून अपने हाथ में न लो. वह स्वयं पहले खूंटी के पत्थलगड़ी आंदोलन में कानून अपने हाथ में लेने और आदिवासियों को भड़काने के मामलों में पुलिस प्राथमिकी में आरोपी बनाए गए थे. फिर भीमा कोरेगांव के एल्गार परिषद वाले मामले में भी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उन्हें आरोपी बनाकर गिरफ्तार कर लिया. स्टेन स्वामी पर पत्थलगढ़ी आंदोलन के मुद्दे पर तनाव भड़काने के लिए झारखंड सरकार के खिलाफ बयान जारी करने के आरोप थे. झारखंड की खूंटी पुलिस ने स्टेन स्वामी समेत 20 लोगों पर राजद्रोह का मामला भी दर्ज किया था.

बगैचा की तस्वीर

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कौन हैं स्टेन स्वामी

स्टेन स्वामी का जन्म 26 अप्रैल 1937 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था. उनके मित्रों के अनुसार, उन्होंने थियोलॉजी और मनीला विश्वविद्यालय से 1970 के दशक में समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की थी. बाद में उन्होंने ब्रसेल्स में भी पढ़ाई की. उन्होंने 1975 से 1986 तक बेंगलुरू स्थित इंडियन सोशल इंस्टीट्यूट के निदेशक के तौर पर काम किया. झारखंड में आदिवासियों के लिए एक कार्यकर्ता के रूप में करीब 30 साल पहले उन्होंने काम करना शुरू किया. उन्होंने जेलों में बंद आदिवासी युवाओं की रिहाई के लिए काम किया, जिन्हें अक्सर झूठे मामलों में फंसाया जाता था. उन्होंने हाशिये पर रहने वाले उन आदिवासियों के लिए भी काम किया, जिनकी जमीन का बांध, खदान और विकास के नाम पर बिना उनकी सहमति के अधिग्रहण कर लिया गया था.

बगैचा कैंपस

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