रांची: कोरोना महामारी का व्यापक असर न्यायालय से जुड़े लोगों के जीवन पर पड़ रहा है. अधिवक्ता और मुंशी कोर्ट कैंपस के इर्द-गिर्द घूमते तो जरूर है, लेकिन काम नहीं मिलने के कारण इनकी हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही है. मौजूदा समय में न्यायालय का काम वर्चुअल मोड में हो रहा है. इस दौरान केवल जरूरी मामलों की सुनवाई ही होती है. जिस कारण अधिवक्ताओं का कामकाज पूरी तरह से ठप पड़ गया है.
अधिवक्ताओं को काम नहीं मिलने की वजह से मुंशी जैसे लोगों की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा है. न्यायालय के कार्य में अधिवक्ताओं की अहम भूमिका होती है, लेकिन वर्चुअल कोर्ट में सुनवाई होने के कारण लोगों का क्लाइंट से संपर्क टूट गया है. यही कारण है कि गिने-चुने अधिवक्ताओं को ही न्यायालय में काम मिल पा रहा है. राज्य समेत देश भर में किए गए लॉकडाउन के बाद जैसे ही अनलॉक की गई धीरे-धीरे हर कार्यों में सरकार के द्वारा छूट दी गई ताकि आम जनजीवन पटरी पर लौट आए, लेकिन न्यायालय की बात करे तो जो व्यवस्था लॉकडाउन पीरियड में चल रही थी वहीं, व्यवस्था मौजूदा समय में भी है.
कोरोना महामारी का सबसे अधिक असर मुकदमों की सुनवाई पर पड़ रही है, जिसके कारण सिविल कोर्ट रांची में लंबित मुकदमों की संख्या 50 हजार से अधिक हो चुकी है. इसमें अपराधी के 36,887 मामले शामिल हैं. 2011 में 36,445 और 2015 में 40,213 मुकदमे लंबित थे. कोरोना काल में जमानत, अग्रिम जमानत, क्रिमिनल अपील जैसे महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई हो पा रही है. इसका लाभ गिने-चुने अधिवक्ता ही उठा पा रहे हैं. यही कारण है कि 90% अधिवक्ताओं को काम नहीं मिल पा रहा है.
रांची व्यवहार न्यायालय में लंबित मामले पर एक नजर
- साक्ष्य और बहस जजमेंट: 19,697
- आरोप गठित और अन्य पर: 3437
- अपील: 844
- उपस्थिति और सेवा संबंधित: 19,491
- आवेदन: 3593
- एग्जीक्यूशन: 1779
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अधिवक्ताओं की आर्थिक संकट पर जिला बार एसोसिएशन संवेदनशील है. अधिवक्ता वेलफेयर ट्रस्ट से लगभग 50 लाख रुपए अधिवक्ताओं के बीच बांटे गए हैं. आगे जीन अधिवक्ताओं की आर्थिक सहायता की आवश्यकता पड़ेगी उन्हें ट्रस्ट से सहयोग दी जाएगी. एसोसिएशन के अध्यक्ष शंभू अग्रवाल ने कहा कि पिछले 5 महीने से अधिवक्ताओं की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है. न्यायालय में सुनवाई के कार्य में मात्र 10% अधिवक्ता ही लाभान्वित हो पा रहे हैं. बाकी अधिवक्ता की माली हालात काफी खराब हो गई है. रांची व्यवहार न्यायालय में बात करें तो लगभग 28 सौ से 3 हजार अधिवक्ता न्यायिक कार्य से जुड़े हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद सरकार की ओर से अधिवक्ताओं की आर्थिक स्थिति पर कोई सुध नहीं ली गई.