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लोगों के दिल में बसते थे हाजी हुसैन अंसारी, JMM कार्यकर्ताओं और नेताओं ने किया याद

झारखंड सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हाजी हुसैन अंसारी की शनिवार को निधन के बाद राजनीतिक गलियारे में मातम पसर गया है. अंसारी की निधन की खबर सुनने बाद जहां राज्य के आला नेताओं ने शोक व्यक्त किया, वहीं जेएमएम के कार्यकर्ता भी उनके निधन पर अपने आंसू नहीं रोक पाए.

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हाजी हुसैन अंसारी

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Published : Oct 4, 2020, 4:04 AM IST

रांचीः हेमंत सोरेन की सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हाजी हुसैन अंसारी का शनिवार को निधन के बाद राजनीतिक गलियारे में मातम पसर गया. निधन की खबर सुनने बाद जहां राज्य के आला नेताओं ने शोक व्यक्त किया, वहीं जेएमएम के कार्यकर्ता भी उनके निधन पर अपने आंसू नहीं रोक पाए.

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हाजी हुसैन अंसारी पिछले तीन दशक से भी ज्यादा समय से विधायक और मंत्री बने रहे. झारखंड में ही नहीं बल्कि अखंड बिहार के समय भी वह विधानसभा सदस्य के रूप में अपने कार्यों के लिए जाने जाते थे. उनका व्यक्तित्व इतना सरल था कि उनकी मौत के बाद राज्य के बड़े-बड़े नेता ही नहीं बल्कि एक-एक कार्यकर्ताओं ने भी उनकी कमी को महसूस किया. हाजी हुसैन अंसारी अपने सरल और सहज विचारों की वजह से आम लोगों के दिलों में बसते थे.

बिल्कुल घमंड नहीं था

हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद जेएमएम की कार्यकर्ता रीना तिर्की ने बताया कि अगर आज की तारीख में कोई नेता एक बार भी मंत्री, विधायक या फिर सांसद बन जाता है तो उसमें घमंड तुरंत ही दिखने लगता है. लेकिन हाजी हुसैन अंसारी लगभग तीन दशक से भी ज्यादा समय से विधायक और मंत्री समय समय पर बनते रहे. इसके बावजूद भी वह पार्टी के छोटे-छोटे कार्यकर्ता से लेकर राज्य की गरीब से गरीब जनता तक से मिलते थे. उनके क्षेत्र से आए एक कार्यकर्ता ने कहा कि मंत्री अंसारी की कमी को कोई पूरा नहीं कर सकता, क्योंकि उनका व्यक्तित्व ही उनकी पहचान थी.

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वहीं, हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद मेदांता अस्पताल में उनका अंतिम दर्शन करने पहुंचे जेएमएम के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि उनके सरल और सहज व्यवहार का इस प्रकार से अनुमान लगाया जा सकता है कि उनके मंत्री बनने के बाद उन्हें जो सरकारी आवास आवंटन किया गया था. उसको भी पाने के लिए उन्होंने कानून का दरवाजा खटखटाया था, मंत्री हाजी हुसैन अंसारी ने किसी काम के लिए कभी भी अपने रसूख का दुरुपयोग नहीं किया. उनके जाने से पार्टी को एक अभिभावक की कमी हो गई है क्योंकि राज्य में झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के बाद पार्टी में कोई वरिष्ठ नेता था तो वह हाजी हुसैन अंसारी ही थे.

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