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कैसे होगी खाद्य सुरक्षा? राज्य खाद्य जांच प्रयोगशाला को मान्यता की आस और स्टाफ भी कम - झारखंड में राज्य खाद्य प्रयोगशाला को मान्यता नहीं मिली

खाद्य सुरक्षा यानी फूड सेफ्टी महकमे की जिम्मेदारी है. इसके लिए कई उपाय किए गए हैं, जिससे लोगों को असुरक्षित खाद्य पदार्थ ना परोसा जाए. लेकिन झारखंड में खाद्य सुरक्षा अनदेखी की शिकार हो रही है, आलम ऐसा है कि राज्य खाद्य प्रयोगशाला अब तक मान्यता की आस में है.

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राज्य खाद्य जांच प्रयोगशाला

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Published : Aug 22, 2021, 8:19 PM IST

Updated : Aug 23, 2021, 3:05 PM IST

रांचीः किसी भी देश, प्रांत और राज्य के विकास के लिए जरूरी है कि भोजन की शुद्धता अवश्य हो ताकि लोग स्वस्थ रहें. आज की तारीख में लोग हाइजैनिक भोजन को लेकर लापरवाह होते जा रहे हैं. भागम-भाग और व्यस्ततम जीवन में लोग भोजन की गुणवत्ता पर कम ध्यान देते नजर आते हैं जो कि उनके स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालता है.

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लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की ओर से प्रत्येक राज्य में खाद्य सुरक्षा प्रयोगशाला का निर्माण किया गया है. जिसके माध्यम से यह जांच की जाती है कि बाजार में बिकने वाले भोजन की गुणवत्ता कितनी है. झारखंड में भी राज्य खाद्य प्रयोगशाला का निर्माण वर्ष 2008 में किया गया था. लेकिन सरकार की लापरवाही और प्रशासन की उदासीनता के कारण वर्ष 2016 तक यह प्रयोगशाला राम भरोसे ही चलता रहा. लेकिन वर्ष 2017 के बाद इस प्रयोगशाला को राष्ट्रीय स्तर का प्रयोगशाला बनाने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार की तरफ से संसाधन मुहैया कराया गया.

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झारखंड राज्य खाद्य प्रयोगशाला में करोड़ों की मशीन

झारखंड राज्य खाद्य प्रयोगशाला में करोड़ों के मशीन लगाए गए हैं, ताकि राज्य के लोगों को बाजार से मिलने वाले भोजन की जांच सही तरीके से हो सके. लेकिन करोड़ों की मशीन लगने के बावजूद भी राज्य खाद्य प्रयोगशाला में कई कमियां हैं. इसीलिए झारखंड का खाद्य प्रयोगशाला नेशनल एक्रीडीएशन बोर्ड ऑफ लैबोरेट्री (NABL) का प्रमाण पत्र हासिल नहीं कर सका. जिसको देखते हुए झारखंड राज्य खाद्य प्रयोगशाला के अधिकारियों ने फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) से आग्रह किया कि उन्हें एनएबीएल की एक्रीडीएशन दी जाए ताकि वह अपने राज्य में बिकने वाले अशुद्ध खाद्य पदार्थों की जांच कर लोगों की जान बचा सके.

इसके बाद FSSAI की ओर से दोबारा झारखंड के राज्य खाद्य प्रयोगशाला का निरीक्षण किया गया और यह माना गया कि फिलहाल झारखंड के प्रयोगशाला में कई तरह के आधुनिक इक्विपमेंट उपलब्ध है और इसकी नवीनीकरण को लेकर भी बेहतर कार्य किए जा रहे हैं. इसीलिए झारखंड के राज्य खाद्य प्रयोगशाला को एनएबीएल की मान्यता दी जानी चाहिए. जिसको लेकर कागजी प्रक्रिया पर काम हो रहा है और यह उम्मीद जताई जा रही है कि अगले 1 से 2 महीने में झारखंड का राज्य खाद्य प्रयोगशाला भी सभी तरह के सैंपल की जांच राज्य में ही कर पाएगा.

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एनएबीएल की मान्यता खत्म हो गई थी

एनएबीएल की मान्यता समाप्त होने के बाद झारखंड में किसी भी लीगल खाद्य नमूनों की जांच नहीं हो पाती थी. इसके लिए फूड सैंपल को कोलकाता या फिर गाजियाबाद भेजना पड़ता था. लेकिन एनएबीएल की मान्यता मिलने के बाद झारखंड में किसी भी तरह के खाद्य के नमूनों की जांच की जा सकेगी. देश के साथ-साथ झारखंड भी कोरोना से जंग लड़ रहा है, लोगों को कोरोना से बचने के लिए साफ-सफाई और भोजन की शुद्धता पर विशेष ध्यान देने की बात कही जा रही है. लेकिन भोजन की गुणवत्ता की जांच करने वाली झारखंड का एकमात्र राज्य खाद्य प्रयोगशाला फिलहाल बेहतर तरीके से काम नहीं कर पा रहा है.

एक-दो महीने में मिल सकती है मान्यता
राज्य खाद्य प्रयोगशाला के इंचार्ज चतुर्भुज मीणा बताते हैं कि झारखंड का यह प्रयोगशाला अब राष्ट्रीय स्तर का प्रयोगशाला बन चुका है. यहां पर सभी आधुनिक संसाधन और उपकरण लगा दिए गए हैं, बस अब कमी है तो मात्र कुछ कर्मचारियों की. जिसको लेकर सरकार को पत्र लिख दिया गया है और यह उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में सभी कर्मचारियों की भर्ती कर ली जाएगी. राज्य खाद्य प्रयोगशाला में वर्षों से काम कर रहे कर्मचारी उमेश कुमार का कहना है कि सरकार जल्द से जल्द कर्मचारियों को बहाल करें ताकि सभी काम सुनियोजित तरीके से हो सके. वर्तमान में कोरोना की प्रकोप को देखते हुए और सुरक्षा के मद्देनजर खाद्य पदार्थों के जांच करने की विशेष आवश्यकता होती है.


वर्तमान में राज्य खाद्य प्रयोगशाला में केमिस्ट, खाद्य निरीक्षक, माइक्रोबायोलॉजिस्ट की आवश्यकता है. जिसकी भर्ती प्रक्रिया को लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होते ही पूरे राज्य में जगह-जगह ठेले, खोमचे पर खाद्य सामग्री बेचे जा रहे हैं और लोग इसका सेवन करते भी नजर आते हैं. इसलिए जरूरी है कि ठेले, खोमचे पर बेचे जाने वाले खाद्य सामग्रियों की समय-समय पर विधिवत जांच हो ताकि यह पता चल सके कि ठेले, खोमचे में उपयोग किए जाने वाले खाद्य सामग्री की गुणवत्ता कितनी है और इसे खाकर लोग कितना सुरक्षित रह पाएंगे.

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कोरोना काल में जंक फूड को कहें ना
कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए डॉक्टरों का कहना है कि ठेले-खोमचे पर बिकने वाली खाद्य सामग्री का उपयोग कम करें. क्योंकि इससे लोगों की प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है. साथ ही ठेले खोमचे पर बिकने वाले खाद्य पदार्थों की नियमित रूप से जांच होनी चाहिए ताकि अपने फायदे के लिए लोग खाद्य सामग्री में किसी तरह का मिलावट ना करें. कई रिपोर्ट्स में यह बताए जा रहे हैं कि आने वाली संभावित तीसरी लहर पानी और अन्य पदार्थों से भी फैल सकता है. ऐसे में जरूरी है कि राज्य के खाद्य जांच प्रयोगशाला को दुरुस्त रखा जाए ताकि समय समय पर खाद्य पदार्थों एवं पीने वाले पानी के नमूनों की जांच की जा सके.

Last Updated : Aug 23, 2021, 3:05 PM IST

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