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झारखंड सरकार की नियोजन नीति को चुनौती, रमेश हांसदा ने हाई कोर्ट में दायर की याचिका - झारखंड कर्मचारी चयन आयोग

झारखंड सरकार की नियोजन नीति को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. रमेश हांसदा ने रिट याचिका दायर कर नयी नियोजन नीति को चैलेंज किया है.

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झारखंड हाई कोर्ट

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Published : Sep 24, 2021, 9:02 PM IST

Updated : Sep 24, 2021, 9:11 PM IST

रांचीः वर्षों से नौकरी की आस में तैयारी कर रहे छात्र असमंजस की स्थिति में फंसते ही जा रहे हैं. क्या परीक्षा होगी, नौकरी मिलेगी, क्या होगा, ऐसे तमाम सवाल छात्र-छात्राओं के मन में हैं. झारखंड सरकार की ओर से नियुक्ति वर्ष घोषित किए जाने और नयी नियुक्ति नियमावली बनाने के बाद फिर एक बार प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र के समक्ष असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

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झारखंड सरकार की नयी नियोजन नीति झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता रमेश हांसदा ने रिट याचिका दायर कर नयी नियोजन नीति को चैलेंज किया है. नियोजन नीति में कई खामियां बताई गई हैं. साथ ही संविधान के अनुरूप ना होने का आरोप लगाया गया है इसलिए नियोजन नीति को रद्द करने की मांग की गई है.

जानकारी देते अधिवक्ता

याचिकाकर्ता रमेश हांसदा के अधिवक्ता ने उनकी ओर से झारखंड हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की है. उन्होंने बताया कि झारखंड सरकार की बनाई नयी नियमावली संविधान की मूल भावना के अनुकूल नहीं है, यह संविधान सम्मत नहीं है. नियोजन नीति का राजनीतिकरण किया गया है, राजनीतिक मंशा के कारण कुछ स्थानीय भाषा के साथ उर्दू को शामिल किया गया है जो राज्य सरकार के तुष्टिकरण राजनीति को दर्शाती है. ऐसा आरोप याचिका के माध्यम से लगाया गया है.

उन्होंने कहा कि राज्य के सभी सरकारी स्कूल में जब हिंदी माध्यम से पढ़ाई होती है तो झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (Jharkhand Staff Selection Commission) की ओर से ली जाने वाली परीक्षा में हिंदी ही नहीं रहेगी तो कोई कैसे परीक्षा देगा. उर्दू एक खास वर्ग के स्कूलों में पढ़ाया जाता है, उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझकर यह किया गया है.

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उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि नयी नियमावली में तो यह कहा गया है कि झारखंड से ही सिर्फ 10वीं और 12वीं पास करने वाल वाले परीक्षा में भाग ले सकते हैं, यह गलत है, यह असंवैधानिक है. संविधान के आर्टिकल 14 के अनुरूप नहीं है, यह मौलिक अधिकार का हनन करता है. आर्टिकल 14 कहता है कि कोई भी आदमी देश में कहीं भी रोजगार के लिए ली जा रही परीक्षा में आवेदन दे सकता है. सरकार के द्वारा इस तरह की नीति बनाने से यह संविधान के अनुरूप नहीं है. इसलिए इसे रद्द कर दी जाए.

Last Updated : Sep 24, 2021, 9:11 PM IST

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