रांची : बिहार में सत्तारूढ़ जेडीयू, झारखंड में जनाधार बढ़ाने की कवायद में जुटी है. इसी को लेकर आज (4 दिसंबर) ओल्ड विधानसभा परिसर के सभागार में जेडीयू प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई. प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में जिलाध्यक्षों और जिला सचिवों के साथ कई आमंत्रित सदस्य शामिल हुए. बैठक में 26 दिसंबर को झारखंड के सभी जिलों में जिला कार्यकारिणी की बैठक और 28 दिसंबर को जन समस्याओं को लेकर राजभवन के समक्ष महाधरना कार्यक्रम तय किया गया.
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जेडीयू कार्यकारिणी की बैठक में तीन प्रस्ताव पारित
जनता दल यूनाइटेड प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में 03 राजनीतिक और 19 आंदोलनात्मक प्रस्ताव पारित किए गए. जिसमें मुख्य रूप से भारत सरकार से जनगणना को जातीय आधार पर करने, झारखंड में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण और राज्य में लंबे समय से जीएम यानी गैर मजरुआ जमीन पर बसे लोगों को जमीन का पर्चा देने सहित कई मांग शामिल है. वहीं राजनीतिक प्रस्ताव में माइनिंग पॉलिसी के मातहत कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को जोड़ने. झारखंड के मूल वासियों की राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए अनुसूचित क्षेत्र में दो विधानसभा क्षेत्र हिमाचल की तर्ज पर आरक्षित किया जाए, वहीं फोर्थ ग्रेड की नौकरियां प्रखंड स्तर के लोगों के लिए 100 फीसदी आरक्षित हो जैसी मांगे रखी गई.
सुधा चौधरी समेत कई नेता नहीं हुए शामिल
जेडीयू कार्यकारिणी की बैठक में झारखंड की पूर्व मंत्री सुधा चौधरी, गढ़वा के जिलाध्यक्ष रवि प्रकाश, गुमला के जिलाध्यक्ष सकल मेहता, आमंत्रित सदस्य शैलेन्द्र महतो, पूर्व मंत्री सुधा चौधरी, केबी सहाय और कृपालता देवी सहित कई नेता शामिल नहीं हुए.
पार्टी की नेताओं को नसीहत
पार्टी की बैठक में जेडीयू के प्रदेश प्रभारी प्रवीण सिंह ने नेताओं को नसीहत दी है. उन्होंने कहा कि जब संगठन मजबूत होता है तब दिक्कतें आती है. ऐसे में कोई परेशानी हो तो वह पार्टी के पदाधिकारियों से कहें सार्वजनिक मंच पर न उठाएं क्योंकि इससे पार्टी कमजोर होती है.
बिहार जेडीयू से झारखंड जेडीयू को नहीं मिलता पैसा
जेडीयू की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में अपने संबोधन के दौरान खीरु महतो ने यह कहकर सबको चौका दिया कि लोगों को लगता होगा कि बिहार से खूब पैसा झारखंड जेडीयू को मिलता होगा. हकीकत यह है कि फूटी कौड़ी भी नहीं मिलती है और वह अपने पैसे से राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब उनकी जगह राजा पीटर को प्रदेश की कमान सौंपी गई थी तब उन्होंने पार्टी फंड की 85 हजार की राशि नए अध्यक्ष को हैंडओवर किया था, लेकिन उन्हें दूसरी बार अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी फंड में कुछ भी नहीं मिला है.