रांचीः मातृत्व अवकाश की मांग को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. उसी फैसले को सुनाते हुए कहा है कि निजी कंपनी हो या सरकारी कंपनी में काम कर रहे हो अस्थाई नियुक्ति हो या संविदा पर नियुक्त हो, सभी तरह की महिलाएं मातृत्व अवकाश की हकदार हैं. प्रत्येक महिलाकर्मी को मातृत्व अवकाश दिया जाना चाहिए.
झारखंड हाई कोर्ट का अहम फैसला, कॉन्ट्रै्क्ट पर नौकरी कर रही महिलाएं भी मातृत्व अवकाश की हकदार
मातृत्व अवकाश पर सभी महिलाओं का अधिकार है और उन्हें यह जरूर मिलना चाहिए. फिर चाहे वो कहीं भी काम करती हों. एक याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है.
झारखंड हाई कोट के न्यायाधीश डॉ एसएन पाठक की अदालत में इस मामले पर सुनवाई 29 सितंबर को हुई थी. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की अधिवक्ता की ओर से अदालत को बताया गया था कि प्रत्येक महिलाओं को मातृत्व अवकाश का अधिकार है, उसे वो मिलना चाहिए. अधिनियम 161 के सेक्शन 2 का हवाला देते हुए कहा था कि सभी तरह के महिला कर्मचारी को मातृत्व अवकाश देय है.
अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया. बताया कि यह सभी प्रकार की कंपनियों पर लागू होता है. मातृत्व अवकाश में यह भी नहीं कहा जा सकता है कि महिलाकर्मी संविदा पर है. इसलिए उन्हें यह अवकाश नहीं दिया जा सकता है. यह कहना गलत होगा. वहीं सरकार के अधिवक्ता ने अवकाश दिए जाने का विरोध किया. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 29 सितंबर को सुनवाई पूरी करते हुए आदेश को सुरक्षित रख लिया था. उसी आदेश को हाई कोर्ट की वेबसाइट पर लोड किया गया है.
बता दें कि प्रार्थी सरिता कुमारी बोकारो जिले के समाज कल्याण विभाग में प्रोटेक्शन ऑफिसर इंस्टिट्यूशन केयर के पद पर वर्ष 2013 से नियुक्त हैं. वो अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 तक मातृत्व अवकाश पर रही. लेकिन उन्हें मातृत्व अवकाश का भुगतान नहीं किया गया. उसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. जिस पर अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी महिलाएं मातृत्व अवकाश की हकदार हैं. अदालत ने प्रार्थी को बोकारो डीसी के पास एक आवेदन देने को कहा है. बोकारो डीसी को 2 सप्ताह में बकाया भुगतान कर कोर्ट को जानकारी देने का निर्देश दिया है. अदालत ने याचिका को निष्पादित कर दिया.