रांचीः झारखंड हाई कोर्ट ने गुमला के कतरी जलाशय से विस्थापित एहसानुल्लाह खान को नौकरी देने के एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा है. चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एकल पीठ का आदेश बिल्कुल सही है. इसलिए इसमें हस्तक्षेप किए जाने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसलिए सरकार की अपील खारिज की जाती है.
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अदालत ने पूर्व में दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद 20 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. 20 जुलाई को मुख्य सचिव ने कोर्ट में हाजिर होकर कहा था कि नियमानुसार अनुकंपा के आधार पर तत्काल नौकरी देने का प्रावधान है. इसके अलावा विज्ञापन के जरिए ही नियुक्ति दी जाती है. अदालत ने कहा कि इस मामले में तीन अन्य विस्थापितों को नौकरी कैसे दे दी गई. इस मामले में एकल पीठ ने विज्ञापन निकालकर नियुक्ति देने के आदेश दिया था, जिसके खिलाफ सरकार ने अपील की थी.
बता दें कि कतरी जलाशय के लिए वर्ष 1989-91 में एहसानुल्लाह की आठ एकड़ जमीन ली गई. पुनर्वास नीति के तहत उसे नौकरी और अन्य सुविधाएं दी जानी थी, लेकिन अभी तक उसे नौकरी नहीं दी गई है. उसने हाई कोर्ट में तीन बार याचिका दाखिल की. हर बार अदालत ने सरकार को नौकरी देने पर विचार करने का आदेश दिया था. लेकिन विभाग ने उसे नौकरी नहीं दी. जबकि पुनर्वास नीति के तहत छह माह में सभी सुविधाएं दी जानी चाहिए.