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रिम्स जन औषधि केंद्र मामले पर झारखंड हाईकोर्ट सख्त, डायरेक्टर को हाजिर होने का दिया आदेश - झारखंड हाईकोर्ट सख्त

रिम्स जन औषधि केंद्र मामले पर झारखंड हाईकोर्ट सख्त हो गया है. रिम्स में सस्ते दर पर दवा उपलब्ध कराने वाली जन औषधि केंद्र बंद करने और नया टेंडर जारी करने के मामले पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान रिम्स निदेशक के मौजूद नहीं रहने पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की.

RIMS Jan Aushadhi Kendra case
RIMS Jan Aushadhi Kendra case

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Published : Dec 10, 2021, 10:38 PM IST

रांची:रिम्स जन औषधि केंद्र मामले पर झारखंड हाईकोर्ट सख्त हो गया है. राजधानी के रिम्स में सस्ते दर पर दवा उपलब्ध कराने वाली जन औषधि केंद्र बंद करने और नया टेंडर जारी करने के मामले पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने रिम्स में जन औषधि केंद्र बंद करने और नए टेंडर जारी करने के संबंधित दस्तावेज के साथ रिम्स डायरेक्टर को अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया है. 13 दिसंबर को हाजिर होकर अदालत को जानकारी देनी है. मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी.

झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में रिम्स के जन औषधि केंद्र मामले पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में रिम्स डायरेक्टर के हाजिर नहीं होने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की. रिम्स के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि आज उन्हें हाजिर होना था या नहीं यह नहीं मालूम था, जिस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए उन्हें शीघ्र वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया.

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रिम्स डायरेक्टर रांची से बाहर होने के कारण उनसे संपर्क नहीं किया जा सका, अदालत ने रिम्स के निदेशक को जनऔषधि केंद्र खोलने से संबंधित दस्तावेजों के साथ 13 दिसंबर को हाजिर होने को कहा है. अदालत ने जनऔषधि केंद्र बंद करने और नया टेंडर जारी करने के मामले में निदेशक को स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.

इससे पहले याचिका पर सुनवाई के दौरान रिम्स निदेशक की ओर से बताया गया था कि रिम्स शाषी निकाय के अध्यक्ष के कहने पर नया जनऔषधि केंद्र का टेंडर जारी नहीं किया गया था. इसका स्वास्थय निदेशक ने विरोध किया और कहा कि अध्यक्ष ने कुछ बिंदुओं पर क्वैरी की थी. टेंडर नहीं जारी करने का आदेश नहीं दिया था. इस पर अदालत ने निदेशक को शपथपत्र दाखिल करने को कहा था. निदेशक ने दोबारा शपथपत्र दाखिल कर कहा कि उन्होंने अध्यक्ष के टेंडर जारी नहीं करने की बात नहीं की थी. इस पर अदालत ने अवमानना का नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था. जिसके बाद निदेशक ने शपथपत्र दाखिल कर अदालत से माफी मांगी.

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