रांची: बोकारो में एक ही परिवार के तीन लोगों की भूख से मौत के मामले में झारखंड हाई कोर्ट के स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद यह आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा कि, राज्य सरकार की इतनी कल्याणकारी योजना होने के बावजूद भी कैसे भूख से मौत हो रही है? सरकार की यह योजना धरातल पर उतर पा रही है या नहीं? इस पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में बोकारो के एक ही परिवार के तीन लोगों के भूख से मौत को लेकर लिए गए स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. वहीं, महाधिवक्ता अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. उन्होंने सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि यह भूख से मौत का मामला नहीं है, लेकिन अदालत ने उनकी दलील को नहीं माना. उन्होंने कहा कि, यह वृहद मामला है और राज्य सरकार की इतनी कल्याणकारी योजना होने के बावजूद भी लोग कैसे भूख से मर जाते हैं? इसे रोकने के लिए सरकार का क्या योजना है? इसे किस प्रकार से रोका जा सकता है? इस पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है. वहीं, उन्होंने इस मामले में झारखंड लीगल सर्विस अथॉरिटी को भी अपना जवाब पेश करने को कहा है.
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गुलाब चंद्र प्रसाद ने मुख्य नयायाधीश को लिखा था पत्र
जिला सचिव आस्था विकास केंद्र तेनुघाट के गुलाब चंद्र प्रसाद ने मुख्य नयायाधीश को एक पत्र लिखा था, जिसमें स्थानीय समाचार में खबरें होने की बात बताई थी. हाईकोर्ट ने उनके पत्र और स्थानीय समाचार पत्र के समाचार को काफी गंभीरता से लेते हुए इस पर संज्ञान लिया है, उसी याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्य सरकार को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
क्या है मामला
बोकारो के शंकरडीहा गांव में भूखल घासी की 12 वर्षीय बेटी राखी कुमारी की मौत हुई, उससे कुछ दिन पहले मई में भूखल घासी के 20 वर्षीय बेटे निकेत घासी की मौत हो गई, उससे पहले भूखल घासी की मौत मार्च माह में हो गई थी एक ही परिवार के लगातार 3 लोगों की मौत भूख से हो गई है.