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अग्निशमन सेवा प्रोन्नति मामले पर झारखंड हाई कोर्ट गंभीर, सरकार से मांगा जवाब

अग्निशमन सेवा के राजपत्रित संवर्ग की Recruitment Promotion Service Condition Manual से जुड़े मामले में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

Jharkhand High Court
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Published : Aug 16, 2022, 8:19 PM IST

रांचीः झारखंड सरकार के अग्निशमन सेवा के राजपत्रित संवर्ग के नियुक्ति प्रोन्नति सेवा शर्त नियमावली (Recruitment Promotion Service Condition Manual) को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट(Jharkhand High Court) में सुनवाई हुई. राज्य में फायरमैन ड्राइवर पद से लीडिंग फायरमैन ड्राइवर और सब ऑफिसर पद पर प्रोन्नति के लिए हैवी व्हीकल ड्राइविंग लाइसेंस(Heavy Vehicle Driving License) की अनिवार्यता रखी गई है. वह नियम संगत नहीं है. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के उपरांत राज्य सरकार से जवाब पेश करने को कहा है. सरकार को अपने जवाब में यह बताने को कहा है कि राज्य में भारी परिवहन प्रशिक्षण संस्थान कहां कहां है. कब खुला है.

झारखंड हाई कोर्ट(Jharkhand High Court) के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने को कहा है. हाई कोर्ट (Jharkhand High Court)ने उन्हें अपने जवाब में यह भी बताने को कहा है कि वैसे फायरमैन जिन्हें लीडिंग फायरमैन ड्राइवर में प्रोन्नति दी गई है, उनका ड्राइविंग लाइसेंस कहां से बना है, उसकी भी विस्तृत जानकारी दी जाए. इस मामले में झारखंड हाई कोर्ट(Jharkhand High Cour) ने परिवहन विभाग के सचिव को भी प्रतिवादी बनाया है. 2011 के नियमावली के प्रावधानों को चुनौती दी गई है.

याचिकाकर्ता देव उरांव व अन्य ने झारखंड अग्निशमन सेवा के अराजपत्रित संवर्ग नियुक्ति, प्रोन्नति एवं अन्य सेवा शर्त) नियमावली 2011(Recruitment Promotion Service Condition Manual) के कुछ प्रावधानों को झारखंड हाई कोर्ट(Jharkhand High Court) में चुनौती दी है. प्रार्थी की ओर से कहा गया है कि राज्य सरकार ने फायरमैन और फायरमैन ड्राइवर के पद को मिलाकर फायरमैन ड्राइवर का पद बना दिया. उक्त नियमावली के अनुसार फायरमैन ड्राइवर से लीडिंग फायरमैन ड्राइवर, सब ऑफिसर में प्रोन्नति के लिए हैवी व्हीकल ड्राइविंग लाइसेंस((Heavy Vehicle Driving License)) को अनिवार्य कर दिया गया है. प्रार्थी का कहना है कि उक्त पदों पर प्रोन्नति के लिए हैवी व्हीकल ड्राइविंग लाइसेंस(Heavy Vehicle Driving License) की अनिवार्यता समाप्त कर दी जाए. प्रार्थी का कहना है कि उनकी नियुक्ति फायरमैन की रूप में हुई थी. वैसे में उनकी प्रोन्नति के लिए हैवी व्हीकल ड्राइविंग लाइसेंस(Heavy Vehicle Driving License) की अनिवार्यता अनुचित है. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजेश कुमार और गौरव राज ने पैरवी की.

रांची में 2010 से बंद है हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बननाःकोर्ट को यह भी बताया गया कि जिला परिवहन पदाधिकारी, रांची के द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत 7 अक्टूबर 2015 को यह सूचना दी गई कि जिला परिवहन कार्यालय, रांची में वर्ष 2010 से हैवी व्हीकल ड्राइविंग लाइसेंस (Heavy Vehicle Driving License) बनना बंद है, क्योंकि राज्य में भारी वाहन प्रशिक्षण संस्थान नहीं है. कोर्ट ने 5 अप्रैल 2022 को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि जिला परिवहन कार्यालय, रांची द्वारा दी गई सूचना के आलोक में यह बताएं कि इस नियमावली के बनने के बाद कितने फायरमैन को प्रोन्नति दी गई और उसका संपूर्ण विवरण कोर्ट ने मांगा था. यहां बता दें कि राज्य सरकार ने अपने जवाब में यह बताया था कि जिला परिवहन कार्यालय, रांची से दी गई सूचना केवल रांची जिला से संबंधित है. पूरे राज्य से नहीं. हैवी ड्राइविंग लाइसेंस सिर्फ धनबाद में बन रहा है. जिस पर कोर्ट ने सरकार को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया और पूछा कि भारी वाहन प्रशिक्षण संस्थान राज्य में कहां –कहां खुला है.

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