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अवैध खनन के मामले में राज्य सरकार के जवाब पर हाई कोर्ट नाराज, राज्य सरकार से मांगा जवाब

झारखंड हाई कोर्ट में पलामू में अवैध रूप से हो रहे बालू खनन को रोकने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने सरकार के जवाब पर नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य सरकार को फिर से जवाब पेश करने को कहा है.

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झारखंड हाई कोर्ट

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Published : Jul 12, 2020, 6:49 AM IST

रांची: पलामू में अवैध रूप से हो रहे बालू खनन को रोकने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने सरकार के जवाब पर नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य सरकार को फिर से जवाब पेश करने को कहा है. अदालत ने पूछा है कि अवैध खनन अभी भी चल रहा है, ट्रांसपोर्टिंग जारी है या नहीं इस पर विस्तृत जवाब 31 जुलाई से पहले दें.

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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई सुनवाई
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में अवैध ढंग से बालू खनन को रोकने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. दोनों न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई पूरी की. वहीं सरकार की ओर से अधिवक्ता और याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने अपने-अपने घर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. याचिकाकर्ता राम सुभाग सिंह ने अदालत को बताया कि पलामू में पांच जगह से लगातार बालू का अवैध ढंग से उठाव किया जा रहा है. पूर्व में ठेकेदार को ठेका दिया गया था. लेकिन जितने उठाने का ठेका दिया गया था उससे कहीं अधिक उठा लिया. मामले की जांच खनन पदाधिकारी के द्वारा किया गया. उसके बाद खनन पदाधिकारी ने ठेकेदार पर जुर्माना भी लगाया लेकिन ठेकेदार ने किसी का प्रवाह किए बगैर बिना जुड़वाना दिए हुए लगातार बालू का उठाव करते रहा.

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31 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि ठेकेदार पर कार्रवाई की गई है. उसके लाइसेंस को रद्द कर दिया गया है अदालत ने राज्य सरकार को यह बताने को कहा है कि वर्तमान में बालू का उठाव कर रहा है या नहीं ट्रांसपोर्टिंग हो रहा है या नहीं इस पर लिखित जवाब पेश करें. बता दें कि उपेंद्र सिंह को पूर्व में बालू उठाव के लिए ठेका मिला था. जो वर्ष फरवरी 2019 में ही खत्म हो गया. उसके बाद भी बिना ठेका के अवैध ढंग से लगातार बालू उठाव किया जा रहा है. उसी को रोकने के लिए जनहित याचिका दायर थी. उस याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले पर राज्य सरकार को प्रार्थी के जवाब पर अपना लिखित जवाब पेश करने को कहा है मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी.

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