रांची: राज्य के शिक्षकों को प्रोन्नति और ग्रेड 7 में दी गई प्रोन्नति को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद तत्काल शिक्षक की प्रोन्नति पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. इसके साथ ही राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई फरवरी 2021 में होगी.
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी ने पलामू जिला में ग्रेड 7 के लिए दिये जाने वाले प्रोन्नति पर रोक लगा दी है. विभाग के द्वारा पूर्व में ग्रेड 4 में पलामू जिले में 28 दिसंबर 2016 में शिक्षकों को प्रोन्नति दी गई थी, लेकिन 01 दिसंबर 2015 में ग्रेड 4 में सिधी नियुक्ति से नियुक्त शिक्षकों के वरियता को प्रभावित करने के लिए 1993 प्रोन्नति नियमावली के विरुद्ध पलामू जिला स्थापना समिति द्वारा ग्रेड 4 में भूतलक्षी प्रमोशन 01 अप्रैल 2015 दे दी गई. ग्रेड 4 में प्राथमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा कई बार पत्र के माध्यम से सभी जिलों को निर्देशित किया गया है, जिसमे स्पष्ट है कि ग्रेड 4 मे प्रोन्नत शिक्षकों को वेतन आदि सहित सभी सुविधाओं का लाभ विद्यालय में योगदान के तिथि से दिया जाएगा. ग्रेड 7 में प्रोन्नति के लिए कम से कम 5 वर्ष ग्रेड 4 में कार्य करने का अनुभव होना चाहिए.
इस बीच भूतलक्षी प्रमोशन को 5 वर्ष मानते हुए पलामू जिला में ग्रेड 7 देने की प्रक्रिया विभाग द्वारा शुरू कर दिया गया था. अब तक राज्य के पलामू जिला सहित राज्य के 12 जिले में ग्रेड 4 में प्रोन्नति दी गई है, जिसमें 9 जिले में नियमानुकूल प्रोन्नति दी गई है. पलामू, लातेहार और चतरा जिले में भूतलक्षी प्रमोशन दिए गए हैं. तीनों जिले में भूतलक्षी के विरुद्ध झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई चल रहा है. इसी बीच पलामू जिला द्वारा ग्रेड 7 मे प्रोन्नति देने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दिया गया. उसी के सुनवाई करते हुए आज ग्रेड 7 में प्रोन्नति पर रोक लगाई गई है. अधिवक्ता भानु कुमार ने कहा है कि, आज ऑनलाइन सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने ग्रेड 7 में प्रोन्नति पर रोक लगाई है.
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झारखंड प्रारम्भिक शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव बलजीत कुमार सिंह ने कहा है कि जिला शिक्षा अधीक्षक, उपायुक्त क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक, एव प्राथमिक शिक्षा निदेशक से मिल कर कई बार आवेदन दिया गया तथा बातचीत हुई और हमेशा बोला गया कि नियम के विरुद्ध कुछ नहीं होगा, लेकिन शिक्षा विभाग में अलग-अलग जिलों में अलग-अलग तरीके से प्रोन्नति दी जाने लगी, जिसके खिलाफ अदालत में याचिका दायर किया गया. उसी मामले में सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने रोक लगा दी.