रांचीः झारखंड राज्य में बाल कल्याण समिति (CWC) और झारखंड न्याय बोर्ड (Jharkhand Justice Board) में रिक्त पदों पर नियुक्ति की मांग को लेकर दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने सरकार की ओर से मामले में हो रही लापरवाही पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए समाज कल्याण विभाग के सचिव को तलब किया है.
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झारखंड हाई कोर्ट ने कल यानी 8 सितंबर को सुनवाई के दौरान विभागीय सचिव और सिलेक्शन कमिटी के सदस्य सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित रहने को कहा है. उन्हें यह बताने को कहा है कि अब तक नियुक्ति क्यों नहीं हुई, कब तक नियुक्ति पूरी हो जाएगी.
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि मार्च वर्ष 2020 में यह मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हुआ था, जिसमें राज्य सरकार को रिक्त पदों पर नियुक्ति संबंधी जवाब पेश करने को कहा गया था. लेकिन सरकार के द्वारा मामले में जवाब पेश नहीं किया गया जो यह बताता है कि सरकार अधिकारी कितने लापरवाह हैं. अदालत के आदेश के बावजूद भी जवाब पेश नहीं करते नियुक्ति नहीं करते हैं.
सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने पक्ष रखते हुए अदालत से आग्रह किया कि जब तक सीडब्ल्यूसी के चेयरमैन और जेजेबी के सदस्य की नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक पूर्व से जो उस पद पर हैं उनकी अवधि विस्तार कर दी जाए. अदालत ने यह माना कि सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष का पद खाली सरकार के अधिकारी की लापरवाही के कारण है, इसके लिए जिम्मेदार सरकार है.
इस मामले में बचपन बचाओ आंदोलन नामक संस्था की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. उसी मामले में हाई कोर्ट के अधिवक्ता अनूप अग्रवाल ने भी हस्तक्षेप याचिका दायर कर राज्य में सीडब्ल्यूसी और जेजेवी में रिक्त पदों पर नियुक्ति की मांग की है. उसी मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. अदालत ने सरकार के जवाब के बाद विभाग के सचिव को तलब किया है.