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झारखंड हाई कोर्ट के महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता पर अवमानना के आरोप, 31 अगस्त को होगी सुनवाई

साहिबगंज महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत के मामले में हाई कोर्ट में महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता पर अदालत की अवमानना का आरोप लगाते हुए अवमानना वाद चलाए जाने का आवेदन दिया गया है. कोर्ट इस आवेदन पर 31 अगस्त को सुनवाई करेगी.

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झारखंड हाई कोर्ट

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Published : Aug 27, 2021, 11:35 AM IST

रांची:साहिबगंज महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत के मामले में हाई कोर्ट में हाई कोर्ट के महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता पर अदालत की अवमानना का आरोप लगाते हुए अवमानना वाद चलाए जाने का आवेदन दिया गया है. कोर्ट ने इस आवेदन पर 31 अगस्त को सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की है.

ये भी पढ़ें- महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत मामले की सीबीआई जांच की मांग, हाई कोर्ट में दो याचिका दायर

याचिकाकर्ता के वकील ने दायर की याचिका

बता दें कि रूपा तिर्की के पिता ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिस पर महाधिवक्ता ने अदालत से सुनवाई नहीं करने की मांग की थी और कुछ आरोप भी लगाए थे. जिसके बाद जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी ने मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा था. मुख्य न्यायाधीश ने फिर से जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी को मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि मैंने महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता पर अदालत की अवमानना करने का आरोप लगाते हुए दोनों पर अवमानना वाद चलाए जाने के लिए आवेदन दिया है. अदालत ने उस पर 31 अगस्त को विस्तृत सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की है.

क्या है पूरा मामला

दरअसल रूपा तिर्की की मौत की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के बाद रूपा तिर्की के पिता के वकील राजीव कुमार का ऑडियो खुला रह गया था. जिसमें वे किसी से कह रहे थे कि मामले की सीबीआई जांच दो सौ प्रतिशत होगी. न्यायालय के आदेश के पहले उनके इस दावे की जानकारी महाधिवक्ता ने सुनवाई कर रहे न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी को दी और सवाल उठाया कि वे ये सीबीआई जांच का कैसे दावा कर सकते हैं. महाधिवक्ता ने कहा कि अदालत को यह मामला नहीं सुनना चाहिए. जिस पर अदालत ने उन्हें मौखिक रूप से बताए गए बात को लिखित रूप से पेश करने को कहा था. लेकिन महाधिवक्ता ने कहा कि मैं मौखिक रूप से कह रहा हूं यही काफी है. जिस पर अदालत ने उनकी मौखिक बातों को रिकॉर्ड पर लेते हुए मुख्य न्यायाधीश को संबंधित मामले की सूचना दी. मुख्य न्यायाधीश ने फिर से उन्हें मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया. जिसके बाद फिर से इस मामले पर सुनवाई हुई.

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