रांची: कहते हैं जिस समाज में लड़कियां पढ़ती हैं वह समाज संपूर्णता के साथ आगे बढ़ता है, उस समाज की नींव मजबूत होती है. लेकिन कई बार मेधावी होने के बाद भी आर्थिक तंगी की वजह से ना जाने कितनी छात्राओं के सपने टूटते रहे हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
इसे भी पढ़ें- विदेशी विश्वविद्यालयों की तर्ज पर विकसित होंगे झारखंड के विश्वविद्यालय, रुकेगा विद्यार्थियों का पलायन
आर्थिक रूप से कमजोर कम से कम 200 मेधावी छात्राओं को उच्च तकनीकी शिक्षा के लिए पैसे का मोहताज नहीं होना पड़ेगा, यह जिम्मेदारी राज्य सरकार उठाएगी. राज्य के बाहर के या राज्य के तकनीकी शिक्षण संस्थानों में नामांकन के बाद आर्थिक सहायता प्रदान करने संबंधी योजना प्राधिकृत समिति हेतु संलेख प्रारूप पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपना अनुमोदन दे दिया है. यह प्रस्ताव उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग की ओर से तैयार किया गया है.
छात्राओं को मिलेगी आर्थिक मदद
इस योजना के तहत यह प्रस्ताव है कि राज्य के बाहर या राज्य में अवस्थित MHRD की ओर से घोषित Overall NIRF Ranking वाले प्रथम 100 संस्थानों/विश्वविद्यालय के AICTE से मान्यता प्राप्त स्नातक/स्नाकोत्तर स्तर पाठ्यक्रमों (विश्वविद्यालय के मामले में विश्वविद्यालय द्वारा Managed मुख्य कैंपस में ही संचालित उक्त कोर्स) में राज्य की छात्राओं का नामांकन होने पर प्रत्येक वर्ष संबंधित कोर्स के उस बैच के लिए निर्धारित कुल वार्षिक फीस या 1 लाख रु. (दोनों में से जो कम हो) आर्थिक सहायता के रूप में दिया जाए. यह सहायता अधिकतम 200 छात्राओं को प्रतिवर्ष दिए जाने पर लगभग रुपए 2 करोड़ प्रतिवर्ष व्यय होने की संभावना है. एक बार चयनित छात्रा को उसके निर्धारित कोर्स अवधि तक के लिए लगातार यह आर्थिक सहायता मिल सकेगी.
इसे भी पढ़ें- उच्च शिक्षा पर ऑल इंडिया सर्वे, जानिए छात्राओं की कितनी है भागीदारी
पढ़ाई के वक्त हर साल मिलेगी प्रोत्साहन राशि
अगर वह किसी सेमेस्टर/वर्ष में अनुत्तीर्ण नहीं होती हैं. राज्य के बाहर या राज्य में अवस्थित भारत सरकार के नियंत्रणाधीन प्रतिष्ठित संस्थानों/विश्वविद्यालय की ओर से Managed मुख्य कैंपस में संचालित या अन्य राज्यों के प्रतिष्ठित सरकारी संस्थानों में संचालित, AICTE से मान्यता प्राप्त स्नातक/स्नाकोत्तर स्तर पाठ्यक्रमों में राज्य के छात्राओं का नामांकन होने पर प्रत्येक वर्ष संबंधित कोर्स के उस बैच के लिए निर्धारित कुल वार्षिक फीस या 50 हजार रुपया (दोनों में से जो कम हो) आर्थिक सहायता के रूप में दिया जाए. यह सहायता अधिकतम 100 छात्राओं को प्रतिवर्ष दिए जाने पर लगभग रुपए 50 लाख प्रतिवर्ष व्यय होने की संभावना है.
एक बार चयनित छात्रा को उसके निर्धारित कोर्स अवधि तक के लिए लगातार यह आर्थिक सहायता मिल सकेगी. अगर वह किसी सेमेस्टर वर्ष में अनुत्तीर्ण नहीं होती हैं, इस प्रस्ताव के अंतर्गत आर्थिक सहायता के लिए योग्य छात्रा के चयन में बराबरी की स्थिति में प्राथमिकता का आधार जैसे छात्रा की बेहतर जेईई मेन रैंकिंग (JEE Main Ranking), छात्रा के क्वालीफाइंग एग्जाम (Qualifing Exam) का प्राप्तांक और जिस छात्रा की आयु अधिक हो, रहेगा.
इसे भी पढ़ें-झारखंड में नई शिक्षा नीति लागू कराना आसान नहीं, राज्य सरकार नहीं दिखा रही कोई रुचि
तकनीकी शिक्षण संस्थानों (Technical Educational Institutions) में नामांकन होने की स्थिति में राज्य की बालिकाओं को डिप्लोमा कोर्स (diploma Course) के लिए रुपए 10 हजार प्रति वर्ष और डिग्री अभियंत्रण कोर्स (Degree Engineering Course) के लिए रुपए 20 हजार प्रति वर्ष आर्थिक सहायता के रूप में दिया जाएगा. यह सहायता प्रत्येक वर्ष डिप्लोमा के लिए अधिकतम 1500 छात्राओं और डिग्री अभियंत्रण कोर्स के लिए अधिकतम 500 छात्राओं को दिए जाने पर कुल लगभग रुपए 2.50 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष व्यय होने की संभावना है। एक बार चयनित छात्रा को उसके निर्धारित कोर्स अवधि तक के लिए लगातार यह आर्थिक सहायता मिल सकेगी, अगर वह किसी सेमेस्टर/वर्ष में अनुत्तीर्ण नहीं होती हैं.