झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / city

झारखंड लौट रहे कुशल श्रमिकों के लिए रोजगार की तैयार कर रही है सरकार, शहरी इलाकों में है ज्यादा फोकस - झारखंड में प्रवासी मजदूरों को रोजगार

राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने साफ किया है कि लौट रहे प्रवासी श्रमिकों में एक बड़ा वर्ग कुशल श्रमिकों का है. उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर वैसे प्रवासियों की मैपिंग की जा रही है. मुख्यमंत्री ने भी कहा कि बड़ी संख्या कुशल श्रमिकों की है, जिनकी मैपिंग की गई है. उन्हें उनकी योग्यता के आधार पर काम दिए जाने की तैयारी चल रही है.

Government is preparing for employment of skilled workers
कुशल श्रमिकों के लिए रोजगार

By

Published : Jun 8, 2020, 6:34 PM IST

रांची: वैश्विक महामारी कोरोना की मार झेलने वाले प्रवासी मजदूरों को उनके घरों में किस तरह रोजगार उपलब्ध कराया जाए, इसको लेकर राज्य सरकार ने प्लानिंग शुरू कर दी है. आधिकारिक सूत्रों की माने तो सरकार के सामने कुशल श्रमिकों के एकोमोडेशन को लेकर ज्यादा समस्या हो रही है. आंकड़ों के अनुसार 70% से अधिक वैसे मजदूर हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों में दक्ष हैं.

देखें पूरी खबर

ऐसे में एक तरफ जहां ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के सहारे उन्हें रोजगार देने की कोशिश की जा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ इन्हें शहरी इलाकों में निर्माण क्षेत्र से जोड़ने की कवायद शुरू की गई है.

मंत्री और सीएम ने भी माना कुशल श्रमिकों की संख्या है ज्यादा

राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने साफ किया है कि लौट रहे प्रवासी श्रमिकों में एक बड़ा वर्ग कुशल श्रमिकों का है. उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर वैसे प्रवासियों की मैपिंग की जा रही है. सूत्रों की मानें तो झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी से जुड़ी सखी मंडल की महिलाओं को इस काम में लगाया गया है, जो अलग-अलग सेक्टर में दक्ष मजदूरों की लिस्ट तैयार कर रही हैं.

ये भी पढ़ें-SPECIAL: सब्जी व्यापारी परेशान, आधे से कम भाव में बिक रही सब्जियां

मुख्यमंत्री ने भी कहा कि बड़ी संख्या कुशल श्रमिकों की है, जिनकी मैपिंग की गई है. उन्हें उनकी योग्यता के आधार पर काम दिए जाने की तैयारी चल रही है. मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि इस बाबत सारी प्लानिंग कर ली गई है और शहरी इलाकों में उन्हें रोजगार मिले इसका भी प्रयास किया जा रहा है.

निर्माण कार्य करने वाले मजदूर अधिक

ग्रामीण विकास विभाग के 'मिशन सक्षम' के अंतर्गत 5 जून तक ढाई लाख लोगों के बीच सर्वे किया गया. जिसमें 1.77 लाख से अधिक कुशल मजदूर हैं. जबकि अकुशल मजदूरों की संख्या 72 हजार से अधिक है. उन आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे ज्यादा निर्माण कार्य से जुड़े हुए मजदूर हैं. उनमें राजमिस्त्री या सहायक राजमिस्त्री की संख्या सबसे अधिक है. सर्वे में 50,000 के आसपास वैसे लोग हैं जो निर्माण कार्य से जुड़े हुए क्षेत्र में काम करते रहें. वहीं ऑटोमोटिव क्षेत्र में भी 34 हजार से अधिक मजदूर काम करते रहे हैं. जबकि तीसरे श्रेणी में वैसे मजदूर हैं जो लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में अपनी सेवा देते रहे.

ये भी पढ़ें-कुकिंग, वर्कआउट, वाइन कोर्स.. इस तरह उन्मुक्त चंद ने लॉकडाउन का किया पूरा उपयोग!

'मुख्य काम से तुलना न हो मनरेगा की'

वहीं केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव एनएन सिन्हा ने स्पष्ट किया कि मनरेगा की तुलना दूसरे मुख्य काम से नहीं की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि मनरेगा एक वैकल्पिक रोजगार का साधन है. यह उस स्थिति में लोगों को दिया जाता है जब उन्हें कोई और काम ग्रामीण इलाकों में नहीं मिलता है. ऐसे में न्यूनतम दिनों की संख्या को ध्यान में रखते हुए लोगों को काम दिया जाता है.

अब तक लौटे हैं 5 लाख प्रवासी मजदूर

सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक देश के अलग-अलग इलाकों से 7 लाख से अधिक लोग झारखंड लौटे हैं. उनमें से प्रवासी मजदूरों की संख्या 5 लाख से अधिक है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details