रांचीः 15 नवंबर 2000 को गठित झारखंड राज्य सोमवार को अपना 21वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस दौरान प्रदेश ने कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं. जिसमें प्रदेश के बेटे-बेटियों ने भी देश-दुनिया में प्रदेश का नाम रोशन किया है. इनमें कुछ खेल जगत में चमके हैं तो कुछ ने कला और समाजसेवा के क्षेत्र में प्रदेश का नाम रोशन किया है. ऐसे ही 21 चितेरे जिनके जरिये देश और दुनिया में झारखंड की तस्वीर बनी आज ईटीवी भारत आपको बता रहा है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट
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इन खिलाड़ियों ने देश-दुनिया में किया प्रदेश का नाम रोशन
झारखंड का सिमडेगा जिला कभी हॉकी की नर्सरी कहा जाता था. इसकी बड़ी वजह बड़ी संख्या में यहां से निकलने वाले खिलाड़ी हैं, जिन्होंने देश का प्रतिनिधित्व किया. वर्ष 2000 में राज्य का गठन होने के बाद प्रदेश के जिन खिलाड़ियों ने उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है. उनमें से प्रमुख महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी निक्की प्रधान, सलीमा टेटे, झारखंड की तीरंदाज दीपिका कुमारी और दुनिया भर में क्रिकेट के लिए पहचान दिलाने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी है.
1.निक्की प्रधान(हॉकी) 1993 में खूंटी में जन्मी महिला हॉकी खिलाड़ी निक्की प्रधान ने कई बार महिला हॉकी टीम में अपने प्रदर्शन की बदौलत देश का नाम रोशन किया है. निक्की सबसे पहले बैंकॉक में आयोजित एशिया कप 2011 में भारतीय टीम का हिस्सा बनीं, जिसमें टीम ने रजत पदक जीता. इसके अलावा 2016 में ब्राजील में होने वाले ओलिम्पिक में चयन के बाद वह भारत के लिए ओलिम्पिक में खेलने वाली झारखण्ड की पहली महिला हॉकी खिलाड़ी बनीं थीं. निक्की टोक्यो ओलंपिक 2021 में भी टीम का हिस्सा रहीं, इस टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर पूरा किया था.
2.सलीमा टेटे (हॉकी):सिमडेगा में 2001 जन्मी सलीमा टेटे का अंतरराष्ट्रीय करियर 2017 में शुरू हुआ था. भारतीय हॉकी टीम की इस होनहार खिलाड़ी ने बेलारूस के खिलाफ राष्ट्रीय टीम में सबसे पहले जगह बनाई थी. वह 2018 यूथ ओलंपिक गेम्स में भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान भी थीं. इस टीम ने सिल्वर जीता था. इसके अलावा सलीमा टेटे टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारतीय महिला टीम की सदस्य भी थीं. इस टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर पूरा किया.
3. महेंद्र सिंह धोनी (क्रिकेट): रांची में 1981 में जन्मे क्रिकेट खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी ने देश-दुनिया में झारखंड को पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने देश के लिए 341 वन डे, 90 टेस्ट और 98 टी-20 इंटरनेशनल मुकाबले खेले. धोनी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान भी रहे. उनकी अगुवाई में ही भारतीय टीम तीनों आईसीसी ट्राफी जीतने वाली टीम बनी. धोनी की अगुवाई में भारतीय टीम ने 2007 में आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप, 2011 में एकदिवसीय विश्वकप और 2013 में आईसीसी चैंपियंस ट्राफी जीती. धोनी को देश के प्रमुख नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण, पद्म श्री और देश का सबसे बड़ा खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न भी मिल चुका है. उनकी उपलब्धियों के लिए सेना ने उन्हें लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि दी है.
4. दीपिका कुमारी(आर्चर): रांची में 1994 में जन्मी तीरंदाज दीपिका कुमारी ने 2006 में अपने प्रोफेशनल करियर की शुरुआत की थी. इस युवा तीरंदाज ने 2006 में मैरीदा मेक्सिको में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में कम्पाउंट एकल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया था. 2010 में एशियन गेम्स में भी दीपिका को कांस्य पदक मिला. इसी वर्ष कॉमनवेल्थ खेलों में महिला एकल और टीम गेम में दो स्वर्ण पदक हासिल किए. राष्ट्रमण्डल खेल 2010 में दीपिका ने न सिर्फ व्यक्तिगत स्पर्धा का स्वर्ण जीता बल्कि महिला रिकर्व टीम को भी स्वर्ण जीता. टोक्यो ओलंपिक 2020 में पदक के लिए देश को दीपिका से सबसे अधिक उम्मीद थी. हालांकि वह अपना शानदार प्रदर्शन दोहरा नहीं सकीं. टोक्यो ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में कोरिया की शीर्ष वरीयता प्राप्त अन सान से दीपिका हार गईं. 2016 में दीपिका को पद्मश्री से सम्मानित किया गया.
समाजसेवा के क्षेत्र में भी कई लोगों ने दिलाई पहचान
झारखंड के कई लोगों ने समाज सेवा के क्षेत्र में भी देश में पहचान बनाई है. इसके लिए उन्हें देश के प्रमुख नागरिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. इनमें इसी साल सम्मानित की गई छुटनी देवी से लेकर पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष करिया मुंडा तक शामिल हैं.
5. छुटनी देवी (समाज सेवा): झारखंड के सरायकेला की रहने वाली छुटनी देवी को कुछ दिन पहले ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया है. झारखंड में डायन बिसाही के खिलाफ लड़ने वाली छुटनी देवी को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. 62 महिलाओं को डायन प्रथा के प्रकोप से बचाने का उन्हें श्रेय दिया जाता है. छुटनी देवी एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस (आशा) के जरिये पीड़ित महिलाओं के लिए पुनर्वास केंद्र चलाती हैं. छुटनी देवी आशा की निदेशक हैं.
6. करिया मुंडाः रांची में जन्मे पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष करिया मुंडा को उनकी समाज सेवा के लिए 2019 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अलावा भी इनके सामाजिक कार्यों के कारण राजनीतिक जगत में इनका नाम सम्मान से लिया जाता है.
कला के क्षेत्र में झारखंड के कई लोगों ने नाम किया रोशन
झारखंड की धरा कला और संस्कृति मानों संरक्षक है. तभी तो यहां एक से एक कलाकार पैदा हुए हैं. जिन्होंने अपनी कला के बल पर एक तो खुद की पहचान बनाई, दूसरे अपने हुनर के बल पर देश और दुनिया में झारखंड की माटी की खुशबू बिखेरी. इन्हीं में से कुछ नाम मुकुंद नायक, रामदयाल मुंडा हैं. इस सूची में कई और भी नाम है, जिनके जरिये झारखंड को देश विदेश में पहचान मिली.
7.मुकुंद नायक सिमडेगा में 1949 में जन्मे मुकुंद नायक लोक गायक, गीतकार और नर्तक हैं. नागपुरी लोक नृत्य झुमइर का प्रतिपादक इन्हें माना जाता है. कला के क्षेत्र में इनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए वर्ष 2017 में पद्म श्री और 2019 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया
8. राम दयाल मुंडाः 23 अगस्त 1939 में जन्मे झारखंड के राम दयाल को आदिवासियों की मुखर आवाज समझा जाता है. इन्होंने झारखंड की राजधानी रांची, पटना, दिल्ली से लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ तक में आदिवासी अधिकारों की आवाज उठाई. उन्होंने कई सांस्कृतिक आंदोलनों को भी नेतृत्व दिया. 30 सितंबर 2011 को झारखंड की माटी ने अपना एक लाल खो दिया. इससे पहले 2007 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी का सम्मान मिला. वहीं उनके सामाजिक सांस्कृतिक कार्यों को देखते हुए उन्हें 22 मार्च 2010 को राज्यसभा सांसद बनाया गया. 2010 में ही उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया.