रांचीः हमारा झारखंड अब 21 वर्ष का हो गया है. 15 नवंबर को बड़े ही धूमधाम से राज्य भर में राज्य स्थापना दिवस मनाया जाएगा. लेकिन क्या इन 21 वर्षों में जो कुछ हमें हासिल करना था. उन्हें हम हासिल कर पाए हैं, यह खुद से एक सवाल है.
इसे भी पढ़ें- झारखंड के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी, दाखिला लेकर फंसे विद्यार्थी
झारखंड राज्य में कई क्षेत्रों में काम हुए हैं. लेकिन अभी भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जिस ओर अनदेखी के कारण उस रफ्तार से वह क्षेत्र आगे नहीं बढ़ रहा है. झारखंड में उच्च शिक्षा को लेकर कई संस्थानों का गठन हुआ. लेकिन अभी-भी उच्च शिक्षा हासिल करने वाले विद्यार्थी बाहरी राज्यों की ओर ही रुक कर रहे हैं. यह एक चिंता का विषय है.
राज्य में 7 सरकारी विश्वविद्यालय हैं. जिन पर प्रदेश में उच्च शिक्षा मुहैया कराने का दारोमदार है. इन सभी में तृतीय चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों की कमी है या अस्थायी कर्मचारियों के भरोसे जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है. इन 21 वर्षों में इन विश्वविद्यालयों में कर्मचारियों और शिक्षकों की नियुक्ति नगण्य रही. रांची विश्वविद्यालय के आंकड़े देश के दूसरे विश्वविद्यालयों में कर्मचारियों की कमी की बानगी ही पेश कर रहा है.
आरयू में तृतीय वर्ग के कर्मचारियों के 189 पद स्वीकृत हैं. इनमें आधे से अधिक पद अभी भी खाली है. चतुर्थ श्रेणी के 186 पद स्वीकृत है, इनमें से 97 पद खाली पड़े हैं. यहां तक कि विश्वविद्यालय के बड़े पदाधिकारियों का पद भी प्रभार पर संचालित हो रहे हैं. रांची विश्वविद्यालय से अलग कर बनाए गए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का हाल भी जुदा नहीं है. कर्मचारियों और शिक्षकों की भारी कमी है. राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में यह समस्या 21 वर्षों में दूर नहीं किया जा सका है. झारखंड के विश्वविद्यालयों में 21 सालों में सिर्फ एक बार ही शिक्षकों की नियुक्ति अब तक हुई है. राज्य के विश्वविद्यालयों में छात्र शिक्षक अनुपात के आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं.
इसे भी पढ़ें- शिक्षकों की कमी से जूझ रहा विश्वविद्यालय, कब होगा स्थायी समाधान!
क्या कहते हैं आंकड़े
वर्ष 2018-19 के आंकड़े के मुताबिक 73 विद्यार्थियों पर मात्र एक शिक्षक है. राज्य गठन के पहले रांची विश्वविद्यालय, सिदो-कान्हू विश्वविद्यालय और विनोवा भावे विश्वविद्यालय ही यहां हुआ करता था. जबकि राज्य गठन के बाद सात विश्वविद्यालय की स्थापना झारखंड में हुई है, यह उपलब्धि जरूर कह सकते हैं. जिसमें कोल्हान विश्वविद्यालय, नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय, डीएसपीएमयू, सेंट्रल यूनिवर्सिटी, रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय, बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय, झारखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी की स्थापना से राज्य से विद्यार्थियों को लाभ मिला है. इसके बावजूद राज्य के विद्यार्थी अभी-भी बाहर पलायन करने को लेकर विवश हैं. क्योंकि इन विश्वविद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है.
उच्च शिक्षा का माहौल नहीं है
लाख दावों के बावजूद विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा को लेकर जो पठन पाठन होनी चाहिए वो सुविधा नहीं है. झारखंड में सरकारी विश्वविद्यालयों के साथ-साथ कई प्राइवेट विश्वविद्यालय भी अस्तित्व में आया है. राज्य गठन के बाद विश्वविद्यालयों में कई नए विषयों की पढ़ाई हो रही है. कई नए वोकेशनल कोर्स की भी पढ़ाई होने से विद्यार्थियों को प्लेसमेंट आसानी से हो रहा है. लेकिन शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं होने से योजनाबद्ध तरीके से विद्यार्थियों को लाभ पहुंचाया नहीं जा रहा है. अभी भी इस राज्य में इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों की भारी कमी है.