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क्या नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर खरा उतरेंगे झारखंड के कॉलेज! पढ़ें ये रिपोर्ट - झारखंड के डिग्री कॉलेजों में परमानेंट शिक्षकों की कमी

केंद्र की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालयों से संबद्ध सभी डिग्री कॉलेजों को अगले 15 वर्षों में स्वायत्त दर्जा प्राप्त करना होगा. इसके लिए कॉलेजों को अपने स्वयं के भवनों या फिर 30 साल के लिए लीज पर लिए गए भवनों की जानकारी विभाग को देनी होगी.

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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति

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Published : Sep 18, 2020, 5:44 AM IST

Updated : Sep 18, 2020, 2:53 PM IST

रांची: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत विश्वविद्यालयों से संबद्ध सभी डिग्री कॉलेजों को अगले 15 वर्षों में ऑटोनॉमस दर्जा प्राप्त करना होगा. स्वायत्तता प्राप्त करने के लिए कॉलेजों को अपने स्वयं के भवनों या फिर 30 वर्षों के लिए लीज पर ली गई इमारतों के संबंध में रिपोर्ट सौंपनी होगी. तमाम मानकों को पूरा करने के बाद ऐसे कॉलेजों को केंद्रीय उच्च शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त करने के बाद ऑटोनॉमस का दर्जा दिया जाएगा. लेकिन झारखंड के अधिकतर कॉलेजों में फिलहाल इंफ्रास्ट्रक्चर भी डेवलप नहीं है और ना ही विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षक ही है. ऐसे में झारखंड के कॉलेजों को इसके लिए युद्ध स्तर पर तैयारी करनी होगी.

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स्वायत्त दर्जा प्राप्त करने के लिए राज्य के कॉलेजों को करनी होगी तैयारीकेंद्र की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालयों से संबद्ध सभी डिग्री कॉलेजों को अगले 15 वर्षों में स्वायत्त दर्जा प्राप्त करना होगा. इसके लिए कॉलेजों को अपने स्वयं के भवनों या फिर 30 साल के लिए लीज पर लिए गए भवनों की जानकारी विभाग को देनी होगी. लेकिन क्या झारखंड के तमाम डिग्री कॉलेज इसके लिए तैयार हैं. इन मानकों को पूरा कर पाने में सक्षम है तो इसका जवाब ना में ही होगा. झारखंड के अधिकतर कॉलेजों का इंफ्रास्ट्रक्चर अब तक डेवेलोप नहीं किया गया है. और ना ही कॉलेज है, जो 30 वर्षों की लीज लिए गए भवन पर संचालित हो रहे हैं.

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शिक्षकों की है कमी, इन्फ्रास्ट्रक्चर को करना होगा डेवलप

विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी है. अनुबंध पर शिक्षकों की बहाली कर यहां पठन-पाठन सुचारु रुप से संचालित किया जा रहा है. ऐसे में दर्जा देने के लिए डिग्री कॉलेजों में परमानेंट शिक्षकों की भी जरूरत होगी. विषय के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति भी करनी होगी. लेकिन झारखंड में विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षकों की भारी कमी है. राज्य के विश्वविद्यालय और कॉलेजों में आवश्यकता के अनुरूप शिक्षक कम हैं. 6 साल में छात्र छात्राओं की संख्या दोगुनी हो गई है. झारखंड के विश्वविद्यालय और कॉलेजों में छात्र-शिक्षक अनुपात लगातार घट रहा है. विद्यार्थी बढ़ते गए और शिक्षक सेवानिवृत्त होते गए. वर्ष 2012-13 के एक रिपोर्ट के आधार पर 48 छात्र छात्राओं पर एक शिक्षक उपलब्ध थे. 6 साल बाद यानी कि हालिया आंकड़ा 2018-19 में अनुपात 73 हो गया. अभी कॉलेजों में 73 छात्र छात्राओं पर एक शिक्षक उपलब्ध है. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 29 छात्रों पर एक शिक्षक उपलब्ध हैं. ऐसे में झारखंड के कॉलेजों को ऑटोनॉमस का दर्जा देना फिलहाल संभव नहीं होगा. इसके लिए झारखंड के कॉलेज और विश्वविद्यालयों को तैयारी करनी होगी, तब जाकर नई शिक्षा नीति के तहत यह कॉलेज मानक पूरा करेंगे .


अब तक मात्र 8 कॉलेज है ऑटोनॉमस

राज्य में विश्वविद्यालयों की संख्या 7 है. वहीं, कॉलेजों की संख्या 65 अंगीभूत और 72 संबद्ध मिलाकर 137 है. फिलहाल राज्य में 8 कॉलेज को ऑटोनॉमस का दर्जा मिला है. इनमें मारवाड़ी कॉलेज रांची संत जेवियर कॉलेज रांची, वूमंस कॉलेज रांची, जमशेदपुर के दो कॉलेज भी शामिल हैं.अधिकतर कॉलेजों में आधारभूत संरचना सही नहीं है. वहीं, शिक्षकों की भी भारी कमी इन कॉलेजों में है. ऐसे में ऑटोनॉमस का दर्जा इन कॉलेजों को मिलना कठिन है. हालांकि इस दिशा में अगर युद्ध स्तर पर काम किया गया तो आने वाले समय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत झारखंड के यह कॉलेज केंद्रीय उच्च शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त कर सकती है.

राज्य में विश्वविद्यालयों की संख्या

1.रांची विश्वविद्यालय
2.बिनोवा भावे विश्वविद्यालय
3.सिद्धू कान्हू विश्वविद्यालय
4.नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय
5.बिनोद बिहारी महतो विश्वविद्यालय
6.डॉक्टर श्याम प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय
7.कोल्हान विश्वविद्यालय

Last Updated : Sep 18, 2020, 2:53 PM IST

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