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सीआरपीएफ-पुलिस विवाद के बीच CRPF आईजी ने संभाला पदभार, कहा- नहीं है कोई विवाद - सीआरपीएफ आईजी राजकुमार

झारखंड में पुलिस और सीआरपीएफ के बीच चल रहे तनातनी के बीच सीआरपीएफ के झारखंड चैप्टर के आईजी के पद पर आईपीएस अधिकारी राजकुमार ने अपना योगदान दे दिया है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए आईजी राजकुमार ने बताया कि झारखंड में पुलिस और सीआरपीएफ के बीच कोई तनाव नहीं है, उनके बीच बेहतर समन्वय स्थापित है.

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सीआरपीएफ झारखंड चैप्टर के आईजी ने संभाला पदभार

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Published : Jan 4, 2020, 10:55 AM IST

रांची: झारखंड में पुलिस और सीआरपीएफ के बीच चल रहे तनातनी के बीच सीआरपीएफ के झारखंड चैप्टर के आईजी के पद पर आईपीएस अधिकारी राजकुमार ने अपना योगदान दे दिया है. आईजी राजकुमार सीआरपीएफ आईजी संजय लाटकर के तबादले के बाद झारखंड सीआरपीएफ चैप्टर के नए आईजी बनाए गए हैं.

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'पुलिस और सीआरपीएफ के बीच कोई तनाव नहीं'
पुलिस मुख्यालय में मुलाकात के दौरान ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए आईजी राजकुमार ने बताया कि झारखंड में पुलिस और सीआरपीएफ के बीच कोई तनाव नहीं है, उनके बीच बेहतर समन्वय स्थापित है.

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क्या है विवाद, किसने भेजा लीगल नोटिस
दरअसल, सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट राहुल सोलंकी के लीगल नोटिस ने झारखंड पुलिस में खलबली मचा दी है. राहुल सोलंकी ने विधानसभा चुनाव के दौरान झारखंड में तैनात सीआरपीएफ जवानों के साथ जानवरों जैसा सलूक किए जाने का आरोप लगाते हुए अपने वकील के माध्यम से पूरे मामले में एक लीगल नोटिस झारखंड पुलिस के आईजी मानवाधिकार और रांची के प्रभारी आईजी नवीन कुमार सिंह को भेजा है. राहुल सोलंकी सीआरपीएफ के 222 बटालियन में पोस्टेड हैं. झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान वे एडहॉक पर गठित 304 बटालियन में उनकी प्रतिनियुक्ति थी.

लीगल नोटिस में क्या है
आईजी नवीन कुमार सिंह को भेजे गए लीगल नोटिस के मुताबिक, सीआरपीएफ बटालियन को झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण में पलामू और चाईबासा में तैनात किया गया था. दूसरे चरण के चुनाव के बाद सीआरपीएफ कंपनी को रांची के खेलगांव स्थित स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में ठहराया गया था. सीआरपीएफ के लिए यहां रांची पुलिस और लोकल प्रशासन को लॉजिस्टिक सपोर्ट देना था, इसके अलावा सीआरपीएफ के ठहरने के सारे इंतजाम भी उन्हें ही करने थे.

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जवानों को बेसिक सुविधाएं भी नहीं मिली
नोटिस के अनुसार, रांची स्थित स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में जवानों को बेसिक सुविधाएं भी नहीं मिली. अधिकांश जवान शौच के लिए बाहर गए. उन्हें पीने लायक पानी भी नहीं दिया गया. वाटर कैनन के गंदे लाल और दुर्गंध युक्त पानी से जवानों ने खाना बनाया. नोटिस में इस बात का भी जिक्र है कि उसी दिन 6 बजे कॉम्पलेक्स में छत्तीसगढ़ से आई बटालियन के कंपनी कमांडर और सिपाही के बीच कहासुनी हुई थी. जिसके बाद सिपाही ने अपने कमांडर को गोली मार खुद को भी गोली मार ली थी.

असिस्टेंट कमांडेंट जवानों को हो रही थी परेशानी
ऐसे में सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट जवानों को हो रही परेशानी की जानकारी आला अधिकारियों को दी थी. लेकिन जवानों की परेशानी की शिकायत किए जाने के बाद उन्हें वहां से हटा दिया गया. इसके बाद उन्हें वापस छत्तीसगढ़ के बीजापुर हेड क्वार्टर भेज दिया गया. साथ ही उनकी जिम्मेदारी इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी को सौंप दी गई.


लीगल नोटिस भेजना किसी अधिकारी का व्यक्तिगत मामला
आईजी सीआरपीएफ राजकुमार के अनुसार, झारखंड पुलिस के आईजी मानवाधिकार नवीन कुमार सिंह को भेजे गए नोटिस का सीआरपीएफ से कोई लेना-देना नहीं है, यह एक अधिकारी का व्यक्तिगत मामला है. आईजी के अनुसार, झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ का बेहतर समन्वय का नतीजा है कि यहां पर लगातार नक्सलियों के खिलाफ सफलताएं मिल रही हैं. साल 2020 में भी झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ नक्सलियों के खिलाफ कारगर ऑपरेशन चलाएंगे.

बंद कमरे में विवाद सुलझाने की कोशिश
सीआरपीएफ और झारखंड पुलिस के बीच चल रहे विवाद के बीच सीआरपीएफ झारखंड चैप्टर के नए आईजी राजकुमार ने झारखंड पुलिस मुख्यालय में डीजीपी कमल नयन चौबे, एडीजी अभियान और आईजी अभियान से मुलाकात कर बंद कमरे में इस विवाद को दूर करने का प्रयास किया.

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ईटीवी भारत से बातचीत
जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार आईजी नवीन कुमार सिंह को नोटिस भेजने वाले असिस्टेंट कमांडेंट पर कार्रवाई भी की जा सकती है. हालांकि बैठक के बाद बाहर निकले आईजी सीआरपीएफ ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि वे झारखंड में बेहतर समन्वय स्थापित कर नक्सलियों के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ने आए हैं. जिसकी तैयारियां शुरू हो चुकी है और उसका नतीजा 2020 में दिखेगा भी.

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