रांची: साल 2020 अपने अंतिम पड़ाव पर है. झारखंड सरकार का हर विभाग नए साल में हर काम को बेहतर अंजाम देने के लिए अपनी तैयारियों में जुटा है. झारखंड सीआईडी की टीम भी साल 2021 में खुद को एक ऐसी जांच एजेंसी के रूप में स्थापित करने की कोशिश में है, जिस पर सभी का भरोसा बना रहे. इसको लेकर झारखंड सीआईडी के एडीजी अनिल पालटा ने ईटीवी भारत से बातचीत की.
सीआईडी के एडीजी अनिल पालटा का इंटरव्यू एडीजी अनिल पालटा ने कहा कि सीआईडी के पास कई मामलों की जांच का जिम्मा है. इनमें से कई मामलों की जांच पूरी की जा चुकी है. वहीं, जो मामले अभी भी जांच में हैं, उसमें जांच के बाद आरोपियों को सजा दिलाई जाएगी. एडीजी के मुताबिक सीआईडी ने कई ब्लाइंड केस को भी सॉल्व कर अपनी अहमियत को साबित किया है.
कोरोना ने सीआईडी के काम को किया प्रभावित
एडीजी के अनुसार, कोरोना संक्रमण की वजह से काम बेहद प्रभावित हुआ है. 1,000 से ज्यादा पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमण का शिकार हुए. सीआईडी को अपने एक इंस्पेक्टर को भी करोना की वजह से खोना पड़ा.
बेहतर जांच एजेंसी बनाना लक्ष्य
सीआईडी के एडीजी ने कहा कि सीआईडी पर लोगों का विश्वास बढ़ा है. लगातार उनके पास जांच के लिए आवेदन भी आ रहे हैं. राज्य सरकार के जो दूसरे विभाग हैं, वो भी अपने मामलों की जांच सीआईडी से कराने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं.
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दर्जनों बड़े मामलों की जांच का जिम्मा
वर्तमान में सीआईडी के पास दर्जनों बड़े मामलों की जांच का जिम्मा है. झारखंड में भ्रष्टाचार के बड़े मामलों में सीआईडी ने अपना शिकंजा भी कसना शुरू कर दिया है. कुल 59 करोड़ से ज्यादा के 4 बड़े घोटालों में राज्य सरकार के बड़े अफसरों की भूमिका संदेह के घेरे में है. सीआईडी जांच के बाद गड़बड़ी करने वाले अफसरों पर शिकंजा कसेगा. सबसे बड़ा मामला झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक में हुए 38 करोड़ के 2 घोटालों का है. वहीं, पलामू की विशेष भू-अर्जन कोयला परियोजना मेदिनीनगर से 2.60 करोड़ रुपये के गबन और गुमला में समेकित जनजाति विकास अभिकरण के 9.05 करोड़ रुपये के गबन के मामले को सीआईडी ने टेकओवर किया है. गुमला और पलामू में फर्जी चेक के जरिए 22 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के मामले की जांच भी सीआईडी कर रही है. वहीं, नक्सल एनकाउंटर के 1 दर्जन से अधिक मामले भी सीआईडी के पास हैं.
वैज्ञानिक तरीके से हो रही हर जांच
सीआईडी एडीजी अनिल पालटा के अनुसार सीआईडी अब नए तरीकों से मामलों की जांच कर रही है. सीबीआई की तर्ज पर मामलों की जांच की जा रही है. बेहतर तकनीक और वैज्ञानिक तरीके से अनुसंधान की शुरुआत सीआईडी में की गई है. सीआईडी को पेशेवर पहचान दिलाने के लिए अलग ड्रेस कोड भी लागू किया गया है.
मैनपॉवर की कमी
सीआईडी में मैनपॉवर की कमी है. इस वजह से जांच तेजी से नहीं हो पाती. एडीजी के अनुसार, उन्होंने मुख्यालय को पत्र लिखा है और जैसे ही सीआईडी में मैनपॉवर बढ़ेगा मामलों की जांच में तेजी आएगी. कई जगह से अभी भी मामले सीआईडी को हैंडओवर करने की बात आ रही है. मैनपॉवर बढ़ने से ज्यादा से ज्यादा मामले सीआईडी के पास जांच के लिए आएंगे.
कानून सबके लिए बराबर
सीआईडी के पास पुलिस अधिकारियों से जुड़े भ्रष्टाचार के कई मामले जांच के लिए लंबित पड़े हैं. उन मामलों में जांच को लेकर एडीजी ने कहा कि कानून सबके लिए एक समान होता है. आरोपी चाहे पुलिस वाले ही क्यों ना हों, उन्हें भी दोषी होने पर कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा.
अपराध के मामलों में कमी
साल 2020 में अपराध के आंकड़ों की बात करें, तो यह नॉर्मल रहा है. हत्या, डकैती जैसे मामलों में कमी आई है. साल के अंत में नक्सलियों के खिलाफ सफलता भी हासिल हुई है. हालांकि महिलाओं से संबंधित अपराध को लेकर एडीजी का कहना है कि एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है कि दुष्कर्म की शिकार अधिकांश पीड़ित अपने ही लोगों की शिकार हुई हैं, लेकिन फिर भी यह एक जघन्य अपराध है और चिंता का विषय है.
नए साल में नया कलेवर
एडीजी के अनुसार, नए साल में सीआईडी को एक ऐसी जांच एजेंसी के रूप में स्थापित करना है, जिस पर सभी का भरोसा रहे. बेहतर तकनीक के बल पर यह काम हर हाल में पूरा होगा. 2021 में सीआईडी एक न्यूट्रल और प्रोफेसनल जांच एजेंसी के रूप में लोगों के सामने होगी.
40 से ज्यादा आरोपियों को भेजा गया जेल
साल 2020 में सीआईडी ने कई चर्चित मामलों की जांच का जिम्मा अपने हाथ में लिया है. इन सभी मामलों की जांच चल रही है. इनमें से राज्य में कई ऐसे चर्चित मामले हैं, जिनमें शामिल आरोपियों को सीआईडी ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. एडीजी अनिल पालटा के नेतृत्व में झारखंड सीआईडी ने 32 से ज्यादा मामलों का निष्पादन किया. इनमें से ज्यादातर ऐसे मामले थे, जो लंबे समय से लंबित पड़े थे.
महत्वपूर्ण मामले
सीआईडी की टीम ने गुमला और पलामू में करोड़ों के गबन मामले का खुलासा किया. इस मामले में अभियुक्त साजन राज सहित 5 आरोपी गिरफ्तार.
रांची के बरियातू में शराब के अवैध कारोबारियों पर नकेल कसते हुए सीआईडी की टीम ने आरोपी वीरेंद्र मिड्ढा और सुनील मिर्धा को सलाखों के पीछे पहुंचाया.
झारखंड सहकारिता बैंक सरायकेला शाखा में हुए घोटाले में शामिल 5 लोगों को सीआईडी ने गिरफ्तार किया. बैंककर्मियों की मिलीभगत से 38 करोड़ रुपए का घपला किया गया.
धनबाद में ईसीएल कर्मी को गांजा तस्कर बताकर जेल भेजने के मामले में भी जांच पूरी हो चुकी है. इस मामले में सीआईडी की टीम ने कोयला तस्कर राजीव राय सहित 4 आरोपी को गिरफ्तार किया.
फेक एनकाउंटर में 2 ग्रामीणों के मारे जाने के मामले में सीआईडी की ओर से सीआरपीएफ के 2 अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. कोर्ट से अधिकारियों की गिरफ्तारी के लिए वारंट भी जारी कराया गया.
कोयला तस्करी में कई पुलिसकर्मियों के नाम सामने आए हैं. इस मामले की जांच भी सीआईडी की ओर से की जा रही है.