रांची: झारखंड सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 91270 करोड़ रुपए का वार्षिक बजट सदन में पेश किया था. इसके बाद अभी तक तीन अनुपूरक बजट पेश किया जा चुका है. 30 जनवरी 2022 तक बजट की 43.20 फीसदी राशि ही खर्च हो पाई है. झारखंड के बजट में ग्रामीण विकास का बजट सबसे बड़े हिस्से में आता है. इसके अधीन ग्रामीण विकास, ग्रामीण कार्य और पंचायती राज विभाग आता है. तीनों विभागों को मिलाकर 30 जनवरी 2022 तक मात्र 33.26% राशि खर्च हुई है.
वित्तीय वर्ष 2021-22 समाप्त होने को है. बचे हुए कुछ दिनों में सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा इस वर्ष की आवंटित राशि को खर्च करने पर जोर दिया जा रहा है. कोरोना और अन्य कारणों से चालू वित्तीय वर्ष में भी विभागों के खर्च की रफ्तार धीमी रही. इसका मुख्य कारण ग्रामीण विकास सहित सरकार के कई विभाग हैं जिनका खर्च पचास प्रतिशत से भी कम है. झारखंड सरकार के पिछले बजट में जबकि ग्रामीण विकास, कृषि एवं अन्य सेक्टर प्राथमिकता सूची में था. वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव द्वारा वित्तीय वर्ष 2021- 22 के लिए पेश की गई बजट में ग्रामीण विकास विभाग के लिए 12924 करोड़ का प्रावधान किया था, जिसमें ग्रामीण सड़क, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर आवास योजना, मनरेगा जैसी योजनाओं का खास ध्यान रखा गया था.
झारखंड बजट 2022: चालू वित्तीय वर्ष में ग्रामीण विकास विभाग खर्च करने में रहा सुस्त, उठ रहे सवाल - विभागों के खर्च की रफ्तार
झारखंड विधानसभा का बजट सत्र 2022 चल रहा है. 3 मार्च को सदन में बजट पेश किया जाना है. वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 91270 करोड़ रुपए का बजट सदन में पेश किया गया था, लेकिन कई विभाग ऐसे हैं जो अपनी बजट का 30 फीसदी भी खर्च नहीं कर पाए हैं.
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पेयजल स्वच्छता विभाग 30 जनवरी तक मात्र 25.68% राशि खर्च कर पाया है. खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में 34.83%, वहीं उद्योग विभाग में 33.78, भवन निर्माण मेंं 29.80%, शहरी विकास में 28.17% खर्च हुए हैं. ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम की मानें तो खर्च की धीमी रफ्तार के पीछे का वजह प्रक्रिया को बताते हैं. आलमगीर आलम ने उम्मीद जताई है कि 31 मार्च तक बजट प्रावधान के अनुरूप राशि खर्च हो जाएगी.
विभागीय खर्च पर राजनीति शुरू:बजट अनुरूप राशि खर्च नहीं होने पर सियासत शुरू हो गई है. विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह सरकार विकास कार्य के बजाय लोगों को लड़ाने में ज्यादा समय गुजारती है. बीजेपी विधायक अनंत ओझा ने ग्रामीण विकास विभाग में 40 फीसदी राशि भी खर्च नहीं होने पर तंज कसते हुए कहा है कि इससे पता चलता है कि राज्य में ग्रामीण विकास के कैसा कार्य हुआ है. इधर, झामुमो नेता मनोज पांडे ने सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि भाजपा शासित राज्यों में भी देखा जा सकता है कि डबल इंजन वाली सरकार ने कोरोना के समय कितना काम किया है. उन्होंने कहा कि विकास कार्य चल रहे हैं जल्द ही इसका रिजल्ट भी देखने को मिलेगा.