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6 मार्च को बंद रहेगा झारखंड, भाषा विवाद को लेकर अखिल भारतीय भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका मंच का ऐलान

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Published : Feb 28, 2022, 9:31 AM IST

झारखंड में भाषा विवाद को लेकर अखिल भारतीय भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका मंच ने 6 मार्च को झारखंड बंद का ऐलान किया है. मंच ने सरकार के फैसले को हिटलरशाही बताते हुए राज्य के सभी जिलों में उर्दू के तर्ज पर भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका एवं हिंदी को क्षेत्रीय भाषा में शामिल करने की मांग की है.

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6 मार्च को बंद रहेगा झारखंड

रांची: झारखंड में भाषा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब बोकारो और धनबाद से भोजपुरी ,मगही,मैथिली ,अंगिका को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाने का विरोध शुरू हो गया है. अखिल भारतीय भोजपुरी ,मगही ,मैथिली अंगिका मंच ने आज हरमू में बैठक कर हेमंत सरकार के फैसले का विरोध किया. मंच ने सरकार से मांग की है कि उर्दू की तरह सभी जिलों में हिंदी, मैथिली,अंगिका,भोजपुरी और मगही को क्षेत्रीय भाषा में शामिल करें नहीं तो इस मुद्दे पर 6 मार्च को झारखंड बंद रखा जाएगा.

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सरकार का फैसला हिटलरशाही:हिंदी सहित कई भाषाओं को झारखंड की क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाने के फैसले को हिटलरशाही बताया गया. इससे पहले अखिल भारतीय भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका मंच के बैनर तले 28 संगठनों का हरमू के विद्यानगर में प्रतिकार सभा संपन्न हुआ. जिसमें 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति का आधारहीन मांग के विरोध में और राज्य के सभी जिलों में उर्दू के तर्ज पर भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका एवं हिंदी को क्षेत्रीय भाषा में शामिल करने की मांग की गई.

प्रतिकार सभा का आयोजन:अखिल भारतीय भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका मंच की सभा में रांची के अलावा जमशेदपुर, गिरिडीह, बोकारो, धनबाद, सिमडेगा, पलामू, चतरा, गोड्डा सहित अन्य जिलों से आए प्रतिनिधिगण मौजूद रहे. कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिनिधियों ने संबोधन के दौरान आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में हेमंत सरकार की कार्य प्रणाली पर जमकर विरोध किया और कहा कि मंच के माध्यम से झारखंड में भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका और हिंदी भाषा के अस्मिता के लिए तथा 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति की आधारहीन एवं असंवैधानिक मांग का पूरी एकजुटता के साथ समूचे राज्य में विरोध किया जायेगा.

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हेमंत सरकार प्रायोजित है भाषा विवाद:सभा में संबोधन के दौरान मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव ने कहा कि राज्य में भाषाई विवाद और 1932 खतियान जैसे विषय हेमंत सरकार द्वारा निश्चित रूप से प्रायोजित है क्योंकि सरकार में आसीन शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो द्वारा झारखंड में युगों से निवास करने वाले तीसरी चौथी पीढ़ी के बहुसंख्य बिहारियों व अन्य को भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका भाषा को आधार बनाकर लगातार घुसपैठिए, अतिक्रमणकारी और बाहरी बोलकर निजी हमला करवाया गया. जो कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के विपरीत एवं राज्यहित तथा जनहित में बिल्कुल अमानवीय कृत्य है.

6 मार्च को झारखंड बंद का ऐलान:प्रतिकार सभा में मंच ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि अब सभी 24 जिलों में द्वितीय राजभाषा भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका, एवं हिंदी को उर्दू के तर्ज पर क्षेत्रीय भाषा में शामिल करने और 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति के आधारहीन व असंवैधानिक मांग के विरोध में 6 मार्च को संपूर्ण झारखंड बंद किया जाएगा. जयहिंद पार्टी के बबन चौबे ने कहा कि जबतक हेमंत सरकार अपने फैसले को निरस्त नहीं करेगी तबतक राज्यभर में चरणबद्ध तरीके से जिलास्तर पर प्रतिकार सभा किया जाएगा. जेडीयू नेता उपेन्द्रनाराय सिंह ने कहा कि मंच द्वारा घोषित 6 मार्च को झारखंड बंद के पहले हेमंत सरकार भोजपुरी मगही हटाने के निर्णय को वापस ले लेती है तब झारखंड बंद को स्थगित कर दिया जाएगा अन्यथा आंदोलन तेज किया जाएगा.

बैठक में कई प्रस्ताव पारित

  • भोजपुरी मगही भाषा हटाने के विरोध में दिनांक 6 मार्च 2022 को संपूर्ण झारखंड बंद रहेगा. एवं सभी जिलों में 5 मार्च को बंद के पूर्व संध्या पर तमाम संगठनों द्वारा मशाल जुलूस निकाला जाएगा.
  • सरकार सभी जिलों में भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका एवं उर्दू के तर्ज पर हिंदी को क्षेत्रीय भाषा में अविलंब शामिल करने का फैसले ले अन्यथा जनांदोलन और तेज किया जाएगा.
  • झारखंड में स्थानीय नीति राज्य स्थापना वर्ष 15 नवंबर 2000 का आधार तय हो या एक साथ बने छत्तीसगढ़ उत्तराखंड के तर्ज पर स्थानीय नीति का आधार तय हो.
    राज्य में अगर भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका एवं हिंदी भाषी बहुसंख्य बिहारियों व अन्य को घुसपैठिए,अतिक्रमणकारी और बाहरी बोल निजी हमला किया जाएगा और 1932 खतियान की मांग होगा तो मंच अलग राज्य बनाने का मजबूती से मांग करेगा.
  • कांग्रेस बीजेपी जेएमएम विधायको से अपील घोषित 6 मार्च को झारखंड बंद के पहले हेमन्त सरकार द्वारा बोकारो धनबाद से भोजपुरी मगही को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाने के खिलाफ सदन में सवाल कर तुगलकी आदेश को निरस्त कराएं अन्यथा आक्रोषित मंच., संगठनों द्वारा विधायको का जमकर प्रतिकार होगा.

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