रांचीः स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र के आधार हैं. इसके लिए चुनाव आयोग ने कई नियम बनाए हैं, जिन्हें आदर्श आचार संहिता कहते हैं.राज्य में चुनाव की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है. आदर्श आचार संहिता का उद्देश्य सभी राजनीतिक दलों के लिए बराबरी का समान स्तर उपलब्ध कराना, प्रचार अभियान को स्वस्थ्य रखना और राजनीतिक दलों के बीच विवाद को टालना है. सत्ताधारी पार्टी इस दौरान सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग नहीं कर सके, इसलिए केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक चुनाव आयोग के कर्मचारी की तरह काम करते हैं. इस दौरान मंत्री या अधिकारी अनुदान, नई योजनाओं की घोषणा, लोकार्पण, शिलान्यास या भूमिपूजन नहीं कर सकते.
सामान्य आचरण के लिए नियम
- राजनीतिक दल या उम्मीदवार जाति, धर्म या भाषा के आधार पर मतभेद नहीं फैलाएंगे.
- आलोचना नीति और काम को लेकर हो, किसी की निजी जिंदगी पर टीका-टिप्पणी नहीं किया जाना चाहिए.
- जाति या धर्म के आधार पर वोट की अपील और धार्मिक स्थलों का इस्तेमाल प्रचार के लिए नहीं करेंगे.
- किसी भी व्यक्ति की अनुमति के बिना उसकी भूमि, भवन और परिसर का इस्तेमाल गलत.
- मतदाताओं को घूस देना या डराना-धमकाना भ्रष्ट आचरण और अपराध माना जाएगा.
ये भी पढ़ें-65 पार का नारा देने वाली BJP को नहीं मिलेगी 25 सीट: आरपीएन सिंह