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चरम पर संथाल के 'संग्राम' का प्रचार, 'रण' में कूदे पीएम, सीएम, 3 पूर्व सीएम समेत कई दिग्गज

पांचवें चरण में संताल परगना की 16 विधानसभा सीटों के लिए 20 दिसंबर को वोटिंग होगी. इस चरण के लिए सत्तारूढ़ बीजेपी ने अपनी पूरी एनर्जी लगा दी है. एक तरफ संथाल परगना में मंगलवार तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो सभाएं कर चुके हैं. वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्रियों का भी दौरा जारी है. विपक्ष के कई बड़े नेता भी जोर शोर से प्रचार-प्रसार कर रहे हैं.

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Published : Dec 17, 2019, 8:27 PM IST

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रांची: प्रदेश के चुनावी समर में विधानसभा चुनावों के पांचवे और आखिरी चरण के लिए पक्ष और विपक्ष दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हैं. दरअसल झारखंड विधानसभा की 81 विधानसभा सीटों में से 65 सीटों के लिए पिछले चार चरण में मतदान हो चुका है. पांचवें चरण में संताल परगना की 16 विधानसभा सीटों के लिए 20 दिसंबर को वोटिंग होगी.

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बीजेपी ने झोंकी पूरी ताकत
इस चरण के लिए सत्तारूढ़ बीजेपी ने अपनी पूरी एनर्जी लगा दी है. एक तरफ संथाल परगना में मंगलवार तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो सभाएं कर चुके हैं. वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्रियों का भी दौरा जारी है. इतना ही नहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत भारतीय जनता पार्टी के कई नेता उन पांच जिलों में फैली 16 विधानसभा सीटों के लिए प्रचार में लगे हैं. वहीं, प्रमुख विपक्षी दल की बात करें तो प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए भी यह चरण महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

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राज्य के दो कैबिनेट मंत्री, तीन पूर्व सीएम जोर लगा रहे हैं
दरअसल, इस चरण में एक तरफ बीजेपी अपनी दमदार मौजूदगी के लिए लगी है. वहीं दूसरी तरफ तीनों पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन अपनी-अपनी पार्टियों के लिए पूरी एनर्जी लगा रहे हैं.

दुमका पर खुद पार्टी के उम्मीदवार हैं हेमंत
सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें से पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन दो विधानसभा सीटों बरहेट और दुमका पर खुद पार्टी के उम्मीदवार हैं. इतना ही नहीं प्रदेश के श्रम मंत्री राज पलिवार और समाज कल्याण मंत्री लुईस मरांडी की प्रतिष्ठा भी दांव पर है. राज पलिवार जहां मधुपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार हैं, वहीं लुईस मरांडी उपराजधानी दुमका विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं.

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क्या है पक्ष-विपक्ष की स्ट्रेटजी
20 दिसंबर को 16 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर बीजेपी ने राष्ट्रीय नेताओं से देश और केंद्र से जुड़े मुद्दों का प्रचार करवाने की स्ट्रेटजी बनवाई है. लोगों के बीच हाल में बना नागरिक संशोधन कानून भी कहीं न कहीं इंपैक्ट डाल रहा है. दूसरी तरफ विपक्ष पूरी तरह से राज्य सरकार की कथित नाकामी को लेकर लोगों के बीच रोजगार, महंगाई स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े मुद्दों के बीच अपनी बातें ट्रांसफार्म करने की कोशिश में लगा है.

लोकसभा चुनाव के बाद बदले समीकरण
संथाल परगना इलाका कई मायनों में झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ माना जाता है. लेकिन 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद समीकरण बदले हैं. इस इलाके की 3 लोकसभा सीटों में से 2 पर फिलहाल बीजेपी के सांसद हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि दुमका संसदीय क्षेत्र से झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन लगातार सांसद बने, लेकिन वहां अब बीजेपी का कब्जा है.

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इन 16 सीटों के लिए होनी है वोटिंग
संथाल परगना के पांच जिलों के अंतर्गत पड़ने वाली जिन 16 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग होनी है उनमें राजमहल, बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, पाकुड़, महेशपुर, शिकारीपाड़ा, दुमका, जामा, जरमुंडी, नाला, जामताड़ा, सारठ, पोड़ैयाहाट, गोड्डा और महागामा शामिल है. इनमें 7 विधानसभा इलाके अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं, जिनमें 2 पर बीजेपी और 5 पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का कब्जा है. पांचवें और आखिरी चरण के 16 विधानसभा सीटों के आंकड़ों को देखें तो 2014 में इनमें बीजेपी को 5, झारखंड मुक्ति मोर्चा को 6, झारखंड विकास मोर्चा को दो और कांग्रेस को 3 सीटें मिली थी. पांचवें चरण में कुल 237 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनमें 29 महिलाएं हैं.

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