रांची:झारखंड में नक्सल अभियान (Naxal Operation) के दौरान सुरक्षाबलों को ट्रूप ट्रैकर (Troop Tracker) नहीं होने से परेशानी उठानी पड़ रही थी, लेकिन अब झारखंड जगुआर को नए तकनीक का ट्रूप ट्रैकर मिल गया है. इससे अब सुरक्षाबलों को अभियान में सहूलियत मिलेगी. बीते एक साल से झारखंड पुलिस का ट्रूप ट्रैकर खराब हो गया था, जिसके बाद अभियान में परेशानी हो रही थी. झारखंड पुलिस के नक्सल अभियान से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, नया ट्रूप ट्रैकर आकार में काफी छोटा है. ऐसे में इसे अभियान में साथ ले जाना आसान है. पहले जो ट्रूप ट्रैकर इस्तेमाल में होता था, वह बड़े आकार का था. अभियान के दौरान उसे पीठ पर लेकर जवान चलते थे.
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अधिक संख्या में खरीद भी होगी
राज्य में वर्तमान में एक ही कंपनी ने ट्रूप ट्रैकर की सप्लाई दी है. अभियान के लिए अधिक संख्या में अब ट्रूप ट्रैकर के खरीदने की योजना पुलिस बना रही है. जल्द ही खरीद के संबंध में प्रस्ताव सरकार के पास भेजा जाएगा. इसके बाद इसकी खरीद की जाएगी.
लोकेशन के लिए जरूरी है ट्रूप ट्रैकर
अभियान के दौरान जवानों के पास जीपीएस होता है, जिससे वह किसी भी दुरूह क्षेत्र या जंगल में किस जगह पर हैं और उन्हें किस दिशा में जाना है, इसकी जानकारी दी जाती है. जीपीएस ट्रैकर से जुड़ा होता है. इससे एक बार में कई जगह चल रहे अभियान की मॉनिटरिंग होती है. कहीं मुठभेड़ होने की स्थिति में भी ट्रैकर से तत्काल सूचना मिल जाती है. नक्सल अभियान के दौरान जंगल या दुरूह इलाकों में ट्रूप ट्रैकर की काफी अधिक महत्व है. अभियान के दौरान ट्रूप ट्रैकर जगुआर के वार रूम से जुड़ा रहता है. अभियान में शामिल सुरक्षाबलों के लोकेशन के साथ साथ ट्रूप ट्रैकर के जरिए किसी भी तरह के मुठभेड़ की सूचना रियल टाइम पर वार रूम तक पहुंचाई जा सकती है.