रांची: झारखंड राज्य को जब भी सुरक्षा के तराजू पर तौला जाता है तो नक्सलवाद अभिशाप के रूप में भारी पड़ने लगता है. इससे निपटने के लिए लगातार अभियान चल रहा है. सरकार खुद मानती है कि झारखंड के 24 जिलों में से 19 जिलों में नक्सलियों का प्रभाव है.
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जाहिर सी बात है कि इस समस्या से निपटने के लिए पुलिस अफसरों की जरूरत है. लेकिन झारखंड में भारतीय पुलिस सेवा संवर्ग के 36 पद रिक्त हैं. इसी के मद्देनजर सिविल सेवा परीक्षा-2020 के माध्यम से चयनित 10 भारतीय पुलिस सेवा के पदाधिकारियों का आवंटन झारखंड राज्य संवर्ग में करने के लिए गृह मंत्रालय, भारत सरकार से अनुरोध करने के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपना अनुमोदन दिया है. पुलिस मुख्यालय से प्राप्त प्रस्ताव के आलोक में पूर्व में IPS के पदाधिकारियों की कमी को ध्यान में रखते हुए उग्रवाद उन्मूलन की दिशा में सुदृढ़ कार्यवाही के लिए सिविल सेवा परीक्षा-2020 के माध्यम से चयनित IPS के कम से कम 10 पदाधिकारियों का आवंटन झारखंड राज्य संवर्ग करने का अनुरोध गृह मंत्रालय से किया गया है.
झारखंड राज्य में IPS के स्वीकृत संवर्ग बल 149 के विरुद्ध मात्र 113 पदाधिकारी उपलब्ध हैं, जिनमें से 93 पदाधिकारी सीधी भर्ती के और 20 प्रोन्नति से नियुक्त हैं. इसी प्रकार सीधी भर्ती के पदाधिकारियों का निर्धारित कोटा 104 के विरुद्ध 11 सीधी भर्ती के पदाधिकारियों की कमी है.
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नक्सलियों पर लगाम लगाने के लिए चाहिए तेजतर्रार अफसर
कोरोना काल में भी राज्य के कई जिलों में नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट (IED Blast) कर पुलिस को नुकसान पहुंचाया है. बूढ़ा पहाड़ और सारंडा जंगल झारखंड में नक्सलियों के रेड कॉरिडोर (Red Corridor) का सबसे मुफीद इलाका रहा है. हालांकि पुलिस और नक्सलियों को उन्हीं की भाषा में जवाब दे रही है. ग्रामीण इलाकों में बोली जाने वाली स्थानीय भाषा का इस्तेमाल कर ग्रामीणों को बताया जा रहा है कि नक्सलियों की वजह से उन्हें किस तरह विकास से दूर रखा जा रहा है. चुंकि यह बहुत सेंसिटिव मामला है इसलिए नक्सलवाद से जुड़े ऑपरेशन और को-आर्डिनेशन के लिए तेजतर्रार अफसरों की जरूरत पड़ती है. इसी को ध्यान में रखकर राज्य सरकार चाहती है कि भारतीय पुलिस सेवा के 10 आईपीएस को झारखंड कैडर मिले.