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गांजा प्रकरण में अब तक NHRC को नहीं सौंपी गई रिपोर्ट, RTI एक्टिविस्ट ने लगाई गुहार - रामगढ़ गांजा केस में एनएचआरसी का आदेश

रामगढ़ के चर्चित गांजा प्रकरण मामले में जांच अभी ठंडे बस्ते में है. तय समय बीतने के बावजूद अब तक इस मामले में रिपोर्ट एनएचआरसी को नहीं सौंपी गई है. मामले में CID जांच चल रही है. जिसकी रफ्तार काफी धीमी है.

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गांजा प्रकरण में अब तक NHRC को नहीं सौंपी गई रिपोर्ट

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Published : Jul 8, 2021, 7:29 AM IST

रांचीः रामगढ़ के चर्चित गांजा केस में गिरफ्तार आरटीआई एक्टिविस्ट प्रमोद कुमार सिंह ने एक बार फिर से इंसाफ के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सामने गुहार लगाई है. प्रमोद कुमार सिंह ने इस मामले में एनएचआरसी(NHRC) को पत्र लिख कर यह बताया है कि आयोग के द्वारा तय समय सीमा के भीतर झारखंड पुलिस ने मामले की जांच नहीं की.

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मांगी गई थी रिपोर्ट
मामला सामने आने के बाद एनएचआरसी(NHRC) ने झारखंड पुलिस को निर्देश दिया था कि मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपी जाए. जिसके बाद राज्य पुलिस मुख्यालय ने मामले में सीआईडी से जांच के आदेश दिये थे. सीआईडी(CID) ने अपनी शुरgआती जांच में मामले में रामगढ़ पुलिस की गलती भी पकड़ी थी, लेकिन बाद में मामले की जांच धीमी पड़ गई और जांच रिपोर्ट राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) के पास नहीं पहुंच पाया.

क्या लिखा है पीड़ित ने
पीड़ित ने एनएचआरसी(NHRC) को भेजे पत्र में बताया है कि जांच में अनावश्यक देरी से उनके अलावे, बालेश्वर पासवान, सतेंद्र राम, अशोक तिवारी प्रताड़ित हो रहे हैं. जांच में देरी से कई तथ्य में हेरफेर किए जा सकते हैं या कई तथ्य स्मृति से उतर सकते हैं. प्रमोद कुमार सिंह ने लिखा है कि जांच की निर्धारित अवधि समाप्त हो चुकी है, लेकिन रिपोर्ट अबतक एनएचआरसी (NHRC) को नहीं सौंपी गई है.

क्या है मामला
प्रमोद कुमार सिंह को रामगढ़ के सब इंस्पेक्टर रघुनाथ सिंह द्वारा एनडीपीएस के केस में जेल भेजा गया था. सूचना अधिकार(RTI) कार्यकर्ता का आरोप है कि रामगढ़ पुलिस की गतिविधियों के खिलाफ और कोयला तस्करी को लेकर वह लगातार आवाज उठाते रहे थे, ऐसे में साजिशन पुलिस ने फर्जी तरीके से एनडीपीएस के केस में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. 6 अप्रैल 2020 को प्रमोद कुमार सिंह को पुलिस ने जेल भेजा था. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आदेश के बाद पुलिस मुख्यालय ने पूरे मामले में सीआईडी जांच के आदेश दिए थे. सीआईडी(CID) के डीआईजी देवेंद्र ठाकुर को पहले इस मामले में अनुसंधान लगाया गया था. उनकी सेवानिवृत्ति के बाद दूसरे पदाधिकारी को जांच का जिम्मा दिया गया.

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